Friday, October 11, 2024
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दीपक गुप्ता की हास्य-कविता : प्यार डॉट कॉम/यार डॉट कॉम

मेल ने फ़ीमेल को
ईमेल से किया प्यार का इज़हार
बोला – यार
मेरे दिल की हार्ड डिस्क के सी ड्राइव में
प्यार के वायरस अपना तम्बू तान चुके हैं
और हम तो मन ही मन
तुम्हें अपना मान चुके हैं
तो आओ और समा जाओ
मेरे दिल के रीसायकल बिन में और छा जाओ
इंटरनेट एक्स्प्लोरर की तरह
ओ मेरी चाहत की फाइल
मैं तुम्हें कब से सर्च कर रहा हूँ
ये बात अलग है
कि अन्य फाइल्स पर भी
रिसर्च कर रहा हूँ
ओ मेरे प्यार के इटैलिक फॉण्ट
मेरी ज़िन्दगी के फ़ॉर्मेट में
अपने प्यार का पैराग्राफ़ सेट कर लो
इस तरह प्रिंट लेने से पहले
पेज में मार्जिन सेट होता है जिस तरह
मेरे माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल
यूँ तो मेरे जीवन में
प्यार का कॉलम हाईड हो गया है
पर तुमसे मिलते ही मेरा फ्यूचर
कुछ ब्राइट हो गया है
मन है कि आँखों की फ़्लॉपी में
कॉपी करके तुम्हें रीड करता रहूँ
और अपना सम्पूर्ण डाटा तुममें फीड करता रहूँ
वैसे भी मन की स्क्रीन पर तुम्हारी पिक्चर पेस्ट हो गयी है
और सर्च इंजिन पर तुम्हारी सर्च में
मेरी आधी उम्र वेस्ट हो गयी है
और दिमाग़ की विंडो में
तुम्हारा ही प्रिंट प्रीव्यू है
मैं नहीं जानता कि तुम्हारा
मेरे प्रति क्या व्यू है
पर अब मैं तुम्हारे बिना
लॉग इन होना नहीं चाहता
और किसी साईट पर
खोना नहीं चाहता
तो इससे पहले कि मेरे सपनों का कम्यूटर
शट-डाउन हो जाए
मुझे रीसेट कर दो और पासवर्ड वाले कॉलम में
अपना नाम भर दो
सुनो – मैं तुम्हारे ट्रैश-बॉक्स में नहीं
इन-बॉक्स में रहना चाहता हूँ
और कम्पोज़ करता हुआ
तुमसे यही कहना चाहता हूँ
कि तुम्हारे पास
यूँ तो कई ऑप्शन्स होंगे
पर कभी भी मुझे साइन-आउट मत करना
और मुझसे नहीं
तो कम से कम
कम्यूटर बनाने वालों से डरना
और मेरा फ़ोल्डर खोलने से पहले
मुझे सेलेक्ट-ऑल कर लेना
फिर कल्पना के पेंट-ब्रश से
जो चाहो रंग भर लेना
और एक हिदायत यह है
कि मेरे कैरेक्टर के स्पेल जरूर चेक करना
फिर चाहे मुझे
जैसे मर्ज़ी एडिट करना
पर एडिट करते-करते कहीं डिलीट मत कर देना
और मेरी बची-खुची साँसे कम्प्लीट मत कर देना
सच कहूँ तो तुम मेरी अटैचमेंट
और ब्राउज़ हो, चाहता हूँ
तुम्हारे हाथों में ही मेरी किस्मत का माउस हो
और समय के प्रिंटर पर
तुम प्रिंट होती रहो इस तरह, डाउनलोड हो गए हैं
आसमां में चाँद-तारें जिस तरह
तो सोचता हूँ
इस सदी में इंटरनेट की नदी में
मुस्कुराहटों की नैया खेता रहूँ
हंसी बाँट खुशियाँ देता रहूँ उसी संभावना के साथ
मुझे महसूस करना, अब तो मैं भी सीख गया हूँ
कम्यूटर ‘यूज़’ करना

 

नामः दीपक गुप्ता, जन्मः 15 मार्च 1972 (दिल्ली), संपर्कः 90 FF अशोका इन्क्लेव-I, सेक्टर 34, फ़रीदाबाद-121003 (हरियाणा)। मोबाइलः 09811153282

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