Saturday, July 27, 2024
होमकवितामधु मेहता 'साथी' की कविता

मधु मेहता ‘साथी’ की कविता

  • मधु मेहता ‘साथी’
आज तुम्हारे आने का यह ख़ौफ़ सभी के दिल में है
कुदरत का यह  आक्रोश अपने  पूरे सुर में  है  ।
यह दौर, एक भयानक सन्नाटे का दौर है
हर कोई आज क़ैद अपने घर में है।
ज़िन्दगी की भाग दौड़ बस एक इशारे मे थम गई,
मानवता आज अपने आप दिलों से जुड़ गई।
घर में बैठे सब दुनिया के बारे मे सोच रहे,
दीपक जला रहे और मिलकर  ताली बजा रहे ।
मौत से न खिलवाड़ करो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी रहने दो ।
बस करो अब बस करो इन्सान को ज़िन्दा रहने दो  ।
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest