होम कविता मधु मेहता ‘साथी’ की कविता कविता मधु मेहता ‘साथी’ की कविता द्वारा Editor - June 14, 2020 146 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet मधु मेहता ‘साथी’ आज तुम्हारे आने का यह ख़ौफ़ सभी के दिल में है कुदरत का यह आक्रोश अपने पूरे सुर में है । यह दौर, एक भयानक सन्नाटे का दौर है हर कोई आज क़ैद अपने घर में है। ज़िन्दगी की भाग दौड़ बस एक इशारे मे थम गई, मानवता आज अपने आप दिलों से जुड़ गई। घर में बैठे सब दुनिया के बारे मे सोच रहे, दीपक जला रहे और मिलकर ताली बजा रहे । मौत से न खिलवाड़ करो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी रहने दो । बस करो अब बस करो इन्सान को ज़िन्दा रहने दो । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं एका गोस्वामी की कविताएँ निहाल सिंह की दो कविताएँ मालिनी गौतम की दो कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.