होम कविता मधु मेहता ‘साथी’ की कविता कविता मधु मेहता ‘साथी’ की कविता द्वारा Editor - June 14, 2020 63 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet मधु मेहता ‘साथी’ आज तुम्हारे आने का यह ख़ौफ़ सभी के दिल में है कुदरत का यह आक्रोश अपने पूरे सुर में है । यह दौर, एक भयानक सन्नाटे का दौर है हर कोई आज क़ैद अपने घर में है। ज़िन्दगी की भाग दौड़ बस एक इशारे मे थम गई, मानवता आज अपने आप दिलों से जुड़ गई। घर में बैठे सब दुनिया के बारे मे सोच रहे, दीपक जला रहे और मिलकर ताली बजा रहे । मौत से न खिलवाड़ करो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी रहने दो । बस करो अब बस करो इन्सान को ज़िन्दा रहने दो । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं समृद्धि जैन की कविता – बदल गई ये दुनिया कृष्ण कांत पण्ड्या की कविता रश्मि पाण्डेय की कविता – अधूरे सपने Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.