चले लेकर अमृतघट मेघ बरसाए अमृत धार !
वसुंधरा संग आलिंगन को गगन करे मनुहार !!
झमाझम बूंदे बारिश की रचें ये नया मधुमास ,
प्यासा नभ प्यासी है धरती आज बुझेगी प्यास !
सबा सुगंधित चली मेघ संग गाती है मल्हार !
वसुंधरा संग आलिंगन को गगन करे मनुहार !!
बरसी खुशियां झूम रहा मन,पर भीतर खामोशी,
यादों से गुलजार मेरा दिल कब आएंगे परदेसी !
बरसे धरा पर मधु सुधारस करे चपला चमकार !
सावन जैसा हुआ आषाढ रिमझिम पड़े फुहार !!
झिमिर झिमिर रुखसार गिरकर खिली घन बूँद ,
ये केलि करें अलकों से हर्षित होकर पलकें मूँद !
हैं पीने को आकुल अधरामृत दिल करे पुकार !
वसुंधरा संग आलिंगन को गगन करे मनुहार!!
तपन मिटाएं दग्ध ह्रदय के रचते बादल आरेख ,
चातक दादुर मोर पपीहा पढ़ रहे सृष्टि के लेख !
चमक रही आज दामिनी करके सोलह श्रृंगार !
वसुंधरा संग आलिंगन को गगन करें मनुहार !!
सागर देखें सरिताओं का यौवन पूर्ण उछाल पर ,
मन कलियां हैं उल्लसित भ्रमरों के संजाल पर !!
है भीगीे तमन्ना कंत खड़े आंखों में भरकर प्यार !
यूं वसुंधरा संग आलिंगन को गगन करे मनुहार !
मृगनयनी नवयौवना से जो आँखें मिली हुईं चार !
हर्षित झूमे धरा अंबर मास आषाढ़ में पड़े फुहार !!
अंशुल जी हिंदी उर्दू का बढ़िया प्रयोग