Wednesday, September 18, 2024
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सीमा शाहजी की कविता : माता-पिता के लिए

जब पहली बार
आपने हमे
बांहों मे लिया
हमने
भावना की भाषा सीखी…….
स्नेह की खुशबू को पहचाना
बातें करते करते बोलने लगें
आपकी उंगलिया थामकर
हमारे डगमगाते कदमो ने
मजबूती से चलना सीखा………
हमने शरारते की
मिट्टी सने हाथो से
आपको छुआ
आपने बडे प्यार से हमे
सीने से लगा लिया……..
कितनी ही बार हमारी जिद को……
आपनें पूरी रात थपकिया दी
मीठी लोरी सुनाई
आपके दिए खिलोैनो ने
हमें समझ दी
हमारा घर
आपकी जीवन तपस्या हेै
इसी की पनाह में
हम जिंदगी के खुशरंग
मकाम पर पहुचे है
यही
हमारे संस्कारो की किताब है
जिसका हर अध्याय आपसे शुरू होता है….।

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