जहां भारत के स्वास्थ्य मन्त्री डॉ. हर्षवर्धन पूरी शिद्दत से इस समस्या से जूझने में लगे हैं वहीं प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी भी स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। बहुत से सरकारी होली मिलन कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। वहीं भारत के कुछ राजनीतिक दल कोरोना वायरस पर भी राजनीति करने से बाज़ नहीं आ रहे। यह एक ऐसी भयावह स्थिति है जिसका सामना सबको मिल कर करना होगा। हर भारतीय और हर भारतवंशी को एक दूसरे की सहायता करनी होगी। हो सकता है कि भारतीय वैज्ञानिक ही सबसे पहले इस वायरस के लिये वैक्सीनेशन बनाने में कामयाब हो जाएं।

दिसम्बर 2019 में चीन के वुहान शहर से एक तूफ़ान उठा और देखते ही देखते पूरे विश्व में  उसका प्रकोप महसूस किया जाने लगा। पहले इसे कोरोना वायरस कहा गया और बाद में इसका डॉक्टरी नाम बदल कर COVID-19 कर दिया गया।

वैसे हिन्दी में ‘कोविद’ शब्द के अर्थ होते हैं – “वह जिसने बहुत अधिक विद्या अर्जित की हो;  वह जिसे किसी चीज का अच्छा ज्ञान हो; अनुभवी,कुशल तथा पंडित”। मगर यहां तो बात कहर की हो रही है और इस वायरस का कहर विश्व भर के 70 देशों में फैल चुका है। 

कोरोना के शुरूआती लक्षणों से इसका पता ही नहीं चलता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार खांसी, बुख़ार और साँस लेने में कठिनाई इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। नाक बहने लगता है, गले में ख़राश होती है, छाती में बलग़म भी इकट्ठी हो जाती है। इससे पहले इस बीमारी का ज़िक्र मेडिकल साइंस में कहीं दिखाई नहीं देता। मगर एक बार जब यह बीमारी किसी का दामन थाम लेती है तो फिर मौत तक साथ नहीं छोड़ती।

इससे पहले भी अन्य देशों से समय समय पर भिन्न प्रकार के वायरस फैलते रहे हैं और महामारी का रूप ग्रहण करते रहे हैं। बर्ड फ़्लू (हाँगकाँग), डेंगु (मनीला-फ़िलीपीन्स), ईबोला (दक्षिणी सूडान), नीपाह (मलेशिया), एच.आई.वी. (यानि कि एड्स – काँगो) आदि विश्व को अपनी गिरफ़्त में ले चुके हैं। 

यह संपादकीय लिखे जाने तक विश्व भर में करीब 1,06,161 मामले सामने आए हैं। चीन के अतिरिक्त इटली और ईरान में बड़े स्तर पर मामले सामने आ रहे हैं। अमरीका में अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है।   अकेले चीन में इस वायरस से 80,813 ग्रस्त हुए हैं और 3,073 लोगों की मृत्यु हो गयी है। 

सभी विकसित देश इस बीमारी की वैक्सीनेशन बनाने में जुटे हैं मगर फ़िलहाल तो केवल निराशा ही हाथ लगी है। वह्ट्सएप और सोशल मीडिया अपनी अपनी ढपली बजा कर होम्योपैथी, और अदरक, हल्दी के गुण गिनवा रहे हैं। हर तरफ़ डर और ख़ौफ़ का माहौल है।

कहा जा रहा है कि ऐसी जगहों पर जाने से बचा जाए जहां भीड़ का माहौल हो। लोगों से हाथ ना मिला कर भारतीय अंदाज़ में नमस्कार किया जाए। अण्डा और मीट का सेवन ना किया जाए। हाथों को बार बार साबुन से धोया जाए। अपना हाथ अपने चेहरे, आँखों एवं नाक से न छुआया जाए।

हवाई यात्रा पर इसका सीधा असर पड़ा है तो पर्यटन भी अछूता नहीं है। कोरोना वायरस विश्व की डांवाडोल अर्थव्यवस्था को और चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाला है। 

18 साल पहले भी सार्स वायरस ने विश्व पर कहर ढाया था और दुनियां भर में इससे सात सौ व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी। और हज़ारों लोग संक्रमित हुए थे। 

भारत समेत कई देशों ने इटली, चीन, जापान और ईरान से आने वाले यात्रियो का वीज़ा रद्द कर दिया है। भारत में 28 नये केस सामने आए हैं। जहां भारत के स्वास्थ्य मन्त्री डॉ. हर्षवर्धन पूरी शिद्दत से इस समस्या से जूझने में लगे हैं वहीं प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी भी स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। बहुत से सरकारी होली मिलन कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। 

वहीं भारत के कुछ राजनीतिक दल कोरोना वायरस पर भी राजनीति करने से बाज़ नहीं आ रहे। यह एक ऐसी भयावह स्थिति है जिसका सामना सबको मिल कर करना होगा। हर भारतीय और हर भारतवंशी को एक दूसरे की सहायता करनी होगी। हो सकता है कि भारतीय वैज्ञानिक ही सबसे पहले इस वायरस के लिये वैक्सीनेशन बनाने में कामयाब हो जाएं।

लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

2 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.