होम कविता शिवांगी जैन की ग़ज़लनुमा कविता – शब्दों का कारवां कविता शिवांगी जैन की ग़ज़लनुमा कविता – शब्दों का कारवां द्वारा शिवांगी जैन - June 13, 2021 140 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet आंख में ज्वाला और सीने में त्रिशूल रखते हैं; हम भी अपनी ज़िंदगी के कुछ उसूल रखते हैं हम वह हैं जो खुद को दिखाते हैं रास्ता; बेकार की बातों के लिए लफ्ज़ फिजूल रखते हैं जो करते हैं दिल से मोहब्बत हमसे; अपने आपको हम उनमें मशगूल रखते हैं हम नहीं कहते बड़े – बड़े शायर कहते हैं; अल्फ़ाज़ आपके दिल में एक रसूल रखते हैं हमारा भी दिल है कोई पत्थर नहीं; हम भी चाहने वालों की तस्वीर वसूल रखते हैं। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.