Wednesday, October 16, 2024
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शिवांगी जैन की ग़ज़लनुमा कविता – शब्दों का कारवां

आंख में ज्वाला और सीने में त्रिशूल रखते हैं;
हम भी अपनी ज़िंदगी के कुछ उसूल रखते हैं
हम वह हैं जो खुद को दिखाते हैं रास्ता;
बेकार की बातों के लिए लफ्ज़ फिजूल रखते हैं
जो करते हैं दिल से मोहब्बत हमसे;
अपने आपको हम उनमें मशगूल रखते हैं
हम नहीं कहते बड़े – बड़े शायर कहते हैं;
अल्फ़ाज़ आपके दिल में एक रसूल रखते हैं
हमारा भी दिल है कोई पत्थर नहीं;
हम भी चाहने वालों की तस्वीर वसूल रखते हैं।
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