उदास गली का कुत्ता जब शेर की तरह दहाड़ता है तो घर का मालिक उसे डांटता है कभी खाने के निवाले उसे और चाहिए होते तो कुत्ते को वह कुत्ते की ही तरह काटता है जब उसे कोई डर खाता है तो लतखोरों की तरह ही उसे चाटता है और डर खत्म हो जाने पर बंद कमरे में बंदरों-सा नाचता है उसे यूं ही अकेले बाहर भौंकने को छोड़कर बंद कमरे में ही देश का जायजा बांचता है बेवजह पुश्तों के लिए पुश्तैनियां खांचता है कभी कुत्ते की परवाह उसे हो आती है उसके घर की बहू दो रोटी फेंक आती है वह दो रोटियां जिसे कितनी रोटियों को चुराने से बचा शेष था समझकर फेंकने को कहा था बहू पर भरोसा करके पर भूखी बहू भी इतनी भूखी थी कि उसका आधा से ज्यादा ही खा जाती है उसे यह तो मालूम ही था इसीलिए तो वह खुद नहीं आया फेंकने कुत्ता कुत्ते की भी जिंदगी जी रहा है कि नहीं यह तक नहीं आया देखने कुत्ते को भी इंतजार है कि कब घर छोड़ दे पर उस सूनी गली में कोई मालिक कुछ सालों तक आएगा नहीं रोटियां सेकने दूसरी गली के कुत्तों की भी यही हालत है इसलिए खुद ही किसी दूसरे कुत्ते की गली को जाना छोड़ दिए हैं अपनी किस्मत अपने हाथों जो लोढ़ दिए हैं अब कहीं आसमान से गिरते चिड़ियों के बीट में दाने खोजते अपने झूराये दातों से अपने रोएं नोचते बस जिए जा रहे हैं सपनों के सहारे सपने जोतते उन्हें अब कोई कुत्ता भी नहीं पुकारता क्योंकि वक्त पड़ने पर उन्हें शेर बोल दिया जाता है जिस जूते को सर पे रखता हुआ मालिक एक बार गिड़गिड़ाया था वक्त निकलने पर कुत्ते को उसी जूते से मार दिया जाता है अजीब विडंबना है इस मालिक की देखो कुत्ता कमाता है तो वह खाता है और घर भर जाने के बाद अपना कुत्ते को कमाने भी नहीं दिया जाता है।