आइए साथ में हम दिवाली मनाए।
राम सीता की मूरत हृदय में लगाए।।
लगाए भरत का समर्पण हृदय में
राम ही हैं सहारा किसी भी समय में
राम दीपक जलाएँ, भिगा भाव घी में
सत्य ही होगा दीपक दीपावली में
स्वयं का स्वयं से परिचय कराएँ।
आइए साथ में हम दिवाली मनाए।।
राम कैसे हैं दिखते विपत्ति के क्षण में
राम संयम कला कठिनाई के पल में
राम हैं इक परीक्षा, जब सूनी गली है
राम शबरी की भक्ति की दीपावली है
आइए अपने जीवन से अभिनय हटाए।
आइए साथ में हम दिवाली मनाए।।
राम मुख चंद्रमा और दिवाकर है मस्तक
राम भक्ति बिना तुम भटकोगे कबतक
देखिए राम में क्या सरलता भरी है
सीखना राम से ही तो दीपावली है
राम-सा धीर धीरज का संचय कराएँ
राम सीता की मूरत हृदय में लगाए।
आइए साथ में हम दिवाली मनाए।।