Tuesday, October 15, 2024
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दीपमाला गर्ग की कविता – ज़िंदगी के इम्तहान

तैयार रहना हर समय
इम्तिहान के लिए
न जाने किस मोड़ पर कब
जिंदगी ले लेगी इम्तिहान।
तैयार रखना खुद को पहले से ही
न जाने वक्त मिले ना मिले
उस वक्त परीक्षा की तैयारी का
प्रश्न पत्र बिल्कुल अलग होगा
तुम्हारी आशा के इकदम विपरीत
बहुत ज्यादा कठिन
पर मन से गर होगे तैयार
तो कोई ना कोई सिरा मिल जाएगा
कठिनता से गर ना घबराओगे
तो आखिर में हल ढूँढ ही लोगे।
लंबा भी हो सकता है प्रश्न पत्र
धैर्य से बस हल करते जाना
उलझाए जो सवाल तुमको
उसको उस वक्त छोड़ते जाना।
कड़ी- कड़ी जोड़ते जाना
अपने बुद्धि और विवेक की
शांति और संयम की
और अंत में पूरा कर ही लोगे
जीवन की इस कठिन परीक्षा को।
और जब परिणाम आएगा
तो असीमित खुशी देगा
भुला देगा परिश्रम की थकान
होगी तो बस मन‌ में‌ इक सुखद विश्रांति।

दीपमाला गर्ग
एमफिल (अर्थशास्त्र),एम. एड., एम. ए. (अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, हिंदी)
नेट (एजुकेशन)
फरीदाबाद, हरियाणा।
संप्रति: उपप्राचार्या
सेंट ल्यूक शिक्षा महाविद्यालय
चांदपुर, फरीदाबाद।
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