अपनी अनुपस्थिति से
उपस्थित रहा
तुम्हारे ज़श्न में
और तुम्हें
लज्जित होने से
बचा पाया ।
अपने मौन से
भेज पाया
अपनी शुभकामनाएं
तुम्हारे लिए
प्रेम के कुछ अक्षत
तुम्हारी ज़िद्द को
बिना तोड़े ।
इसतरह
मिलता रहता हूँ
बिना मिले
कई सालों से
और
निभाता हूँ
कभी तुमसे
किया हुआ वादा ।
2 – क्योंकि वह जानता था
वह प्रश्न
किसी दर्द से गुजरे बिना
निरर्थकता की प्रतिष्ठा के लिए
अंत तक तटस्थ था ।
किसी भी सत्य को
वह झुठला सकता था
क्योंकि वह जानता था
कि सत्य
गढ़े जाते हैं
अनुभवों के आकाश में
दृष्टि की
कलम से ।
लेकिन उसकी तटस्थता
उसकी मज़बूरी थी
कोई आत्मबल नहीं
ये वो लोग हैं
जो झाँककर
अनुमान लगाते हैं
और चले जाते हैं
तटस्थ रूप में ।
3- लौटना
अगर लौट आऊँ
तुम्हारे पास
तो उपहार में
तुम्हें तकलीफ़ें दूँगा
फ़िर तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर में
मेरा मौन होगा
मेरा लौटना
क्या तुम्हारे लिये
यातनापूर्ण होगा ?
फ़िर
न लौटूँ तो !
बिडम्बना !!
मैं यातना और बिडम्बना के बीच
तुम्हें बचाना चाहता हूँ ।
तुम थोड़ी संभावनाएं तलाशो
वो खिड़की खोल दो जिससे
सुबह की धूप आती है
और वह छोटी काली बिंदी
लगाया करो
कि अच्छी लगोगी।
डॉ हर्षा त्रिवेदी
स्थायी निवास : उदयपुर,राजस्थान।
विद्या वाचस्पति : पद्मश्री “दयाप्रकाश सिन्हा के नाटकों का अनुशीलन” (मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से)
प्रकाशन :
मौलिक पुस्तकें : सहारों का बंधन ( हिंदी नाटक) , नाटककार दयाप्रकाश सिन्हा, शब्द संधान ।
शोध आलेख : राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित शोध-पत्रिकाओं/ पुस्तकों में 25 से अधिक शोध आलेख प्रकाशित ।
उपलब्धि : 30 से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठिओं विशेषकर संयुक्त राष्ट्र संघ, जिनेवा में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए “Existential and functional harmony between the man and the nature: A Rigvedik Phenomenon ” विषय पर पत्र-वाचन,
राष्ट्रीय उच्च अध्ययन संस्थान,राष्ट्रपति निवास, शिमला से Associate
विशेषज्ञता : हिन्दी नाटक, फिल्म पटकथा लेखन एवं अभिनय में विशेष रूचि । राजसमंद विकास किरण,एन अनलकी डे, भूत एन अनटोल्ड स्टोरी,नो रूल्स आदि शार्ट फिल्मो का पटकथा लेखन ।
सम्प्रति : विवेकानंद इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज-TC ( गुरू गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली से संबद्ध ) पीतमपुरा,दिल्ली में सहायक आचार्य हिंदी के रूप में 2018 से कार्यरत।