Saturday, July 27, 2024
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डॉ. मुक्ति शर्मा की कविता – एहसास

मुझे अपने दर्द का हमसफर बना कर तो देख।
माना कि गम बड़े हैं जिंदगी में मुझे हर गम की दवा बना कर तो देख।
जख्म जो दिए दुनिया वालों ने उसकी मरहम बना कर तो देख।
जिस्त को फौलाद के सांचे में डालकर तो देख।
बंजर जिंदगी में
एक बार हरियाली बना कर तो देख।
जिंदगी का गुलाब एक बार बना कर तो देख।
चांद को छूने चले गए विज्ञान के पंख।
तुम मुझे धरती के स्वर्ग की सैर करा के तो देख।
एक आस पर अब तक मेरी बंद जुबां को
आवाज देकर तो देख।
तू मेरी वीरान जिंदगी में खुशियों की फुहार बन कर तो देख।
काया ना पलट दी तेरी तो कहना!
मुझे सिर्फ एक बार तू आजमाकर तो देख।
डॉ. मुक्ति शर्मा
डॉ. मुक्ति शर्मा
संपर्क - 9797780901
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