होम कविता राजेन्द्र शर्मा की कविता – प्रगति का अक्षय मंत्र कविता राजेन्द्र शर्मा की कविता – प्रगति का अक्षय मंत्र द्वारा Editor - April 30, 2023 203 2 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet प्रथम प्रभु का ध्यान कर फिर लक्ष्य पर संधान कर मस्तिष्क में दृढ़ ठानकर मंज़िल तरफ़ प्रस्थान कर न ध्यान हो इधर-उधर न भटकना कभी डगर प्रयास कर, अभ्यास कर निरंतर ….निरंतर….. हो चाह शुद्ध प्रखर मुखर उत्साह ज्यों अचल शिखर प्रतिभा स्वयं होगी निखर प्रगति के पथ होगा सफ़र। हैं जो बड़े, सम्मान कर झुक मातृ-भू का मान कर बेशक से स्वाभिमान कर ना भूल कर अभिमान कर। जीवन भी है हर पग समर लड़…, हार न स्वीकार कर तानकर हिम्मत का शर कठिनाइयों पर वार कर ईश्वर को अर्पित कर्म कर नि:स्वार्थ सारे धर्म कर एक बार कर ले देख कर जीवन बनेगा अग्रसर। राजेन्द्र शर्मा पता- B – 157 सेक्टर 71 नोएडा , 201301 sharma.rajender035@gmail.com +91 98102 20986 संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. हर्षा त्रिवेदी की तीन कविताएँ प्रेमा झा की कविता – माँ रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – सपने 2 टिप्पणी बहुत सुंदर जवाब दें What a beautifully written poem!!! जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत सुंदर
What a beautifully written poem!!!