Tuesday, October 8, 2024
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राजेन्द्र शर्मा की कविता – प्रगति का अक्षय मंत्र

प्रथम प्रभु का ध्यान कर
फिर लक्ष्य पर संधान कर
मस्तिष्क में दृढ़ ठानकर
मंज़िल तरफ़ प्रस्थान कर 
न ध्यान हो इधर-उधर
न भटकना कभी डगर
प्रयास कर, अभ्यास कर
निरंतर ….निरंतर…..
हो चाह शुद्ध प्रखर मुखर
उत्साह ज्यों अचल शिखर
प्रतिभा स्वयं होगी निखर
प्रगति के पथ होगा सफ़र।
हैं जो बड़े, सम्मान कर
झुक मातृ-भू का मान कर
बेशक से स्वाभिमान कर
ना भूल कर अभिमान कर।
जीवन भी है हर पग समर
लड़…, हार न स्वीकार कर
तानकर हिम्मत  का शर
कठिनाइयों पर वार कर
ईश्वर को अर्पित कर्म कर
नि:स्वार्थ सारे धर्म कर
एक बार कर ले देख कर
जीवन बनेगा अग्रसर।

राजेन्द्र शर्मा
पता- B – 157 सेक्टर 71 नोएडा , 201301
[email protected]
+91 98102 20986
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