क़त्ल है और खून हैं, भीड़ का कानून है
जनता और नेता सभी आज अफलातून है
आदमी ही आदमी को इस जहां में मारता
आओ बापू आज तुम्हें विश्व है पुकारता
शांति का जो पाठ हमें बापू तुम पढ़ा गए
सत्य अहिंसा का हम पे तुम कवच चढ़ा गए
अब जहां में वहशीपन की ऐसी इक लहर चली
बाग़ हैं उजड़ रहे और जल रही कली कली
आज कई देशों में आतंक का ही राज है
तोप के तले तले पिस रहा समाज है
अन्धकार भी लपक के सूर्य को ललकारता
आओ बापू आज तुम्हें विश्व है पुकारता (1)
आज विश्व में कई है देश बारूदों के घर
धीमा पड़ रहा है ऐसे में अहिंसा का ये स्वर
शांति का कपोत गोली खाके है तड़प रहा
डूब न जाए ये धरती इतना रक्त है बहा
काश आज होते तुम तो तुमसे सीख लेते वो
शीश ओ हथियार तेरे पांवो में रख देते वो
दुष्ट आतंकी को बापू तू ही बस सुधारता
आओ बापू आज तुम्हें विश्व है पुकारता (2)
आज अहिंसा को लोग भीरुता समझ रहे
युद्ध के नगाड़े मानो हर दिशा में बज रहे
पाते हम तुम्हारी कमी आज के परिवेश में
आओ बापू जन्म ले के कातिलों के देश में
लोग वहां के भी पाए तुमसे अहिंसा कवच
ख़त्म हो आतंकवाद, हम सब जायेंगे बच
नफ़रत भरे दिलों को एक तू ही तारता
आओ बापू आज तुम्हें विश्व है पुकारता (3)