यह आप सोचिये कि क्या होगा
जब स्याही सूख जाएगी
सारे रंग बदल जाएंगे
एक स्याह से अंधेरे में ।
जब धरती की दरारें चौड़ी हो जाएंगी
यह आप सोचिए
कि सूरज कब तक देगा रोशनी ?
चांद कब तक बिखेरेगी चाँदनी ?
यह सब मैं क्यों सोचूं ?
मेरा अनुबंध केवल मेरे अपने समय से है
और हाँ, मैं सूखने नहीं दूंगा स्याही
रंगों को सजाने ,
बिखेरने का सिलसिला चलता रहेगा
सूरज को रोशनी देना ही होगा
चांद भी मन को छूता रहेगा ।
अपने समय का अनुबंध मैं स्वयं करूंगा-
जल धरती अग्नि वायु और आकाश के साथ
निदेशक रामायण केन्द्र, भोपाल (भारत) एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, तीर्थस्थान एवं मेला प्राधिकरण, म.प्र.शासन. संपर्क - 7974004023

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