होम कविता कुसुम पालीवाल की कविता – वृक्ष कविता कुसुम पालीवाल की कविता – वृक्ष द्वारा कुसुम पालीवाल - January 7, 2024 63 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet ओ मानव ! वृक्षों के तप को तुम देखो खड़े निरन्तर चिर काल से इनके अनुवाद को समझो ये देते हमको ख़ुशी अपार रंग रंग के फूलों से सीखो जीवन किसको कहते हैं सुबह में ये खिल खिल कर बस यही संदेश तो देते हैं खिलना हँसना फिर मुरझाना ये ही तो जीवन का सार खिलना ही तो जीवन होता हैं इस जीवन के रंग हज़ार तप इस जीवन का आधार जिसमें छिपे ख़ज़ाने लाख शिव हो तन में शिव हो मन शिव की महिमा अपरम्पार ओ मानव ! देखो ! हमको खड़े हुए हैं नतमस्तक इस पृथ्वी पर देते छाया हर पथिक को और उस चेहरे पर मुस्कान निःस्वार्थ भाव का जीवन विफल कभी होता नहीं लेना तो सब जानते , पर देने से कम कुछ होता नहीं कटकर भी काम तुम्हारे आते फल देकर तुमको ये बताते प्रकृति की महिमा को समझो बिन प्रकृति जीवन शव समान …॥ संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं शोभा प्रसाद की तीन कविताएँ सावित्री शर्मा ‘सवि’ की कविता – चुनावी रंग दीपमाला गर्ग की कविता – ज़िंदगी के इम्तहान 1 टिप्पणी बहुत सुंदर कविता जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
बहुत सुंदर कविता