Saturday, July 27, 2024
होमकवितामनवीन कौर की कविता - वृक्ष ने कहा

मनवीन कौर की कविता – वृक्ष ने कहा

वृक्ष ने कहा, सुनो पवन,
तुम अब स्वतंत्र हो ।
नहीं रोकेंगे तुम्हें,
मेरे परिवार जन ।
कट चुके हैं सभी ,
नहीं रहे जीवंत ।
अपनी भारी, बोझिल देह को,
हवा ने सम्भाला ।
दीर्घ साँस ली और थोड़ा विचारा ।
बोली, अब नहीं रह  गयी हूँ,
मैं प्राणवायु ,
बिन तुम्हारे घट रही है,
मेरी आयु ।
धुएँ और प्रदूषण से,
मेरा दम घुटता है ,
कहाँ गए सभी प्रिय वृक्ष
सम्भालो मुझे,
मेरा अस्तित्व मिटता है ।
पर्वत झर रहे हैं,
सागर  भी उफन  रहा ।
तांडव नृत्य कर रहा ,
बवंडर यहाँ-वहाँ।
नदिया बहन,
थम सी गयी है ,हो विषैली ।
अश्रु उसके नहीं थमते,
रह गयी अकेली ।
बदल रहीं हैं ऋतुएँ भी,
सारी की सारी ,
इतना कष्ट पर्यावरण को ?
पड़ रहा मानव को भारी ।
आओ सजाएँ फिर से,
नन्ही फुलवारी ,
संवार लें अपनी धरा ,
ये प्यारी, प्यारी ।
RELATED ARTICLES

3 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest