मुझे तलाश है
कुछ नये बिम्बों की
ताकि लिख सकूं मैं
कुछ अच्छी कवितायें
कुछ स्तरीय कवितायें
कुछ भावपूर्ण कवितायें
देखिये,ऐसा नहीं है कि
मुझे कुछ क्रांति करनी है
आमूल चूल परिवर्तन लाने हैं
व्यवस्था के समानांतर
एक व्यवस्था खड़ी करनी है
तो फिर नये बिम्ब क्यों ?
सीधा सवाल खड़ा होता है
मेरा जवाब सीधा और सरल है
इश्क़ /मोहब्बत की बातें बहुत हो गई
छुअन/चुभन की बातें बहुत हो गई
जीने मरने की बातें बहुत हो गईं
अब कुछ जिजीविषा की बातें हों
अब कुछ संकल्प की बातें हों
अब बोधिवृक्ष की बातें हों
अब कुछ उजास की बातें हों
अब हथेलियों पर कुछ उगाने की बातें हों
अन्तस में सुकून की बातें हों
आत्मा के लिबास की बातें हों
अब एक और सवाल ?
इससे क्या होगा?
सटीक जवाब के लिए इंतजार करना होगा
फिर भी इतना तो तय है
उम्मीदों के फासले कम होंगे
संकल्प का पौधा लहलहाएगा
जिजीविषा अपना असर दिखायेगी
कल्पनाएं साकार होंगी
इतिहास के शिलालेख पर
कुछ ऐसा रचा जायेगा
जो आगे पीछे की तमाम भूलों को
नजरअन्दाज करते हुए
एक नया मार्ग प्रशस्त कर देगा