• शक्ति सार्थ्य

1- प्रेम की दरकार किसे नहीं होती
ये प्रेम ही तो है जो हमें बांधे रखता है,
मैं प्रेम कि इस प्रक्रिया का हमेशा से कायल रहा हूँ
शायद आप भी?
हाँँ, आप शायद कहने से डरते होंगे,
वो प्रेम ही तो है मां-बाबा का
जिसने आपको असंस्कारी नहीं होने दिया
वो छोटी बहन का प्रेम
जिसने हमेशा दूसरों की बहनों को उजड़ने से बचाया है आजतक
हां वो पत्नि का निस्वार्थ प्रेम
जिसने हमेशा आपकी मर्यादाओं को मर्यादा में रहने दिया
प्रेम कभी कुछ नहीं मांगता
हम ऋणी है इसके
जिसने हमें हमेशा तर्क-वितर्क को समझने में सहायता की है
हां, कुछ लोगों के लिए
कुछ वक्त के लिए मजाक तो जरूर रहा है प्रेम
जिसने इसके मजाकियेपन से ही सबकुछ एक पल में खो दिया
किंतु बाद में महत्व जरूर समझ आया होगा प्रेम का
अपराधबोध की अग्नि में जला होगा वो
जिसने इसकी पवित्रता को खण्डित किया होगा
प्रेम अनुभूति है, अहसास है, एक युग है
हां, ये संवेदनशील भी है
नाज़ुक है
इसे पढ़ पाना उतना कठिन भी नहीं है
जितना हम समझते आयें है आजतक
प्रेम एक यात्रा हैं, अनंत यात्रा
एक अंतहीन छोर
प्रेम सात्त्विक है, ध्यान है
निश्छल है
प्रेम एक ज्ञान है, पहचान है
हमारे होने का प्रमाण है
हां, आप इसे स्वर्ग की दुनिया भी कह सकते हैं
शांति का दूत भी कह सकते हैं
खूबसूरती का संसार भी कह सकते हैं
सबसे अधिक विश्वास का विस्तार भी कह सकते हैं
हां, मैं
कालजयी प्रेम को जीने तक
किसी कालजयी कवि हो जाने की जिज्ञासा तक त्याग दूंगा
हां, कालजयी प्रेम को जीने तक !
2- मैं चाहता हूँ उनसे
मैं चाहता हूँ उनसे
बातें करना, वो है कि-
मुझसे बात ही करना नहीं चाहते
तुम्हारे चाहने या न चाहने से
वो अपना फैसला नहीं बदल सकते
हां, तुमको बदलनी होगी अपनी चाह
***
मैं चाहता हूँ उनसे
कि वो कुछ और दिन मेरे साथ रहें,
उन्हें नहीं रहना है अब तुम्हारे साथ
तुम्हारे उनके साथ रहने से क्या
वो न रहने का फैसला नहीं बदल सकते
हां, तुम्हें ही बदलना होगा अपना फैसला
***
मैं चाहता हूँ उनसे
कि एक बार तो मिल लें मुझसे,
वो नहीं चाहते तुमसे मिलना अब कभी
तुम्हारे मिलने से क्या होगा
वो नहीं मिल सकते अब कभी तुमसे
हां, अब तुम्हें ही मिलने का ख्वाब मिटाना होगा
***
मैं चाहता हूँ उनसे
कि वो अपनी शिकायतें सुनायें मुझे
वे कोई भी शिकायतें नहीं सुनना-सुनाना चाहते
तुम्हारे सुनने-सुनाने से क्या होगा
वो जो नहीं चाहते है न सुनना-सुनाना
हां, अब तुम्हें शिकायतें भूल जानी चाहिए
***
मैं चाहता हूँ उनसे
कि वह मेरे और मैं उनके कन्धे पर सिर रखकर रोयें
उन्हें नहीं रोना अब तुम्हारे कन्धे पर
तुम्हारे रोने-धोने से क्या होगा
वे नहीं चाहते ऐसा अब कभी दोबारा हो
हां, अब तुम्हें दूसरा कन्धा तलाशना होगा
***
मैं चाहता हूँ उनसे
कि वह कभी न भूलें मुझे
नहीं याद रखना अब तुम्हें
तुम्हारी यादों में ऐसा है ही क्या
वे नहीं चाहते ऐसी बेस्वाद यादें रखना
हां, तुम चाहों तो संजोकर रख सकते हैं
***
मैं चाहता हूँ उनसे
कि वह खुश रहें हमेशा,
वे खुश हैं तुमसे बिछुड़के
तुम्हारी खुशी का क्या
वे अब और ज्यादा खुश हैं वहाँ
हां, तुम चाहो तो अपनी खुशी तलाश लेना
3- हाँ, मैं स्त्री हूँ
मैं ईश्वर की रची हुई
सबसे खूबसूरत रचनाओं में से एक हूँ
हां, मैं स्त्री हूँ
मैं सभी संभावित दु:खो को
समेटे हुए
खुशी की एक नदी हूँ,
मैं जब भी बहती हूँ
एक सही दिशा में
लोगों का उत्सव देखे बनता है
मुझे, कभी अपनी परवाह नहीं!
फिर क्यों कुछ लोग मुझे
नदी की भांति
दूषित कर देना चाहते है
आखिर मैं तो उन्हीं लोगों के जीवन को
हर्सोल्लास से भरने आई हूँ,
मुझे जब तुम दूषित कर बैठोगे
क्या तुम्हारे जीवन पर इसका दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा?
मैं जब खत्म हो जाऊँगी
तब तुम्हारी तड़प देखते बनेगी,
क्या कभी भुगता है तुमने
खत्म होती एक नदी का प्रकोप
शायद ही भुगता हो तुमने कभी कोई प्रकोप-
ठीक वैसा ही प्रकोप भुगतना होगा तुम्हें
जब मैं कहीं मृत/दूषित पड़ी हुई मिलूं तुम्हें
शायद तुम अपनी इस जिम्मेदारी को समझो
और मुझे, नदी
दोनो को ये जीवन
सुखमय बनाने का अवसर दो।

3 टिप्पणी

  1. बहुत बहुत आभार संपादक महोदय जी।
    नाम में थोड़ी सी गलती हो गई है…

    शक्ति सार्थ्य नाम है…

    हो सके तो इसमें सुधार किया जा सकता है

    आपका
    शक्ति सार्थ्य

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.