होमकवितासूर्यकांत शर्मा की कविता - आँखें कविता सूर्यकांत शर्मा की कविता – आँखें By Editor March 9, 2024 1 141 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp अनंग ख़्वाब की प्यास जगाती आँखें। अभिसार आमंत्रण देती आँखें। आप्त काम सी काम कमान आँखें। भविष्य आंकती आँखें जीवन बरगद ताकती आँखें। जीवन समर झांकती आँखें। सृजन विहंगम दृश्य निहारती आँखें। साहिर की सहर का इंतज़ार करती आँखें। आधी आबादी को समान अधिकार का सपना संजोती आँखें। कितने कितने सपनों को संवारती आँखें। आँखों को आँखों से बुहारती आँखें। आँखों ही आँखों में समझाती आँखें। सूर्यकांत शर्मा संपर्क – [email protected] Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखअर्चना उर्वशी का गीत – मन की घटाएंअगला लेखश्यामल बिहारी महतो की कहानी – तबादले के बाद Editor RELATED ARTICLES कविता संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 कविता दामिनी यादव की दो कविताएँ July 20, 2024 कविता आभा दवे की कविता – करवट July 13, 2024 1 टिप्पणी अच्छी कविता है सूर्यकांत जी आपकी!आपकी कविता को पढ़कर आंखें पिक्चर की याद हो आई !उसमें गाना था -उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता।…… उसकी एक पंक्ति है- “हर तरह के जज़्बात की है ऐलान हैं आंखें” वही भाव महसूस हुआ। जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 और अधिक लोड करें Latest लालित्य ललित का व्यंग्य – पांडेय जी सम्मान मंडी में July 20, 2024 संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 उपासना सियाग का लेख – केमद्रुम योग July 20, 2024 नरेंद्र कौर छाबड़ा की कहानी – वापसी July 20, 2024 और अधिक लोड करें
अच्छी कविता है सूर्यकांत जी आपकी!आपकी कविता को पढ़कर आंखें पिक्चर की याद हो आई !उसमें गाना था -उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता।…… उसकी एक पंक्ति है- “हर तरह के जज़्बात की है ऐलान हैं आंखें” वही भाव महसूस हुआ। जवाब दें
अच्छी कविता है सूर्यकांत जी आपकी!आपकी कविता को पढ़कर आंखें पिक्चर की याद हो आई !उसमें गाना था -उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता।……
उसकी एक पंक्ति है-
“हर तरह के जज़्बात की है ऐलान हैं आंखें”
वही भाव महसूस हुआ।