यामिनी बीत रही बिन बोले,
कौन अधर की सांकल खोले।
हृदय देहरी पर पग धर कर,
दर्द पुराना आँखें खोले।
पीर झर रही है बूंदन से।
एक घटा बरसे नयनन से।
नैन घाटियों के कजरारे,
पर्वत करने लगे इशारे।
लट बिखराती श्वेत बदलियाँ
बरस पड़े बादल मतवारे।
तृप्ति धरा है नभ चुम्बन से।
एक घटा बरसे नयनन से।
धार नदी की लगी बहकने,
तट का मन भी लगा थिरकने।
कौन बचाए कौन उबारे,
साँस रेत की लगी दहकने।
न्यौछावर हैं ये तन मन से।
एक घटा नभ की पलकन से।
एक घटा बरसे नयनन से।
अर्चना उर्वशी
401, Ravi Building, Ravi Chinab Housing Society,
Jangid Complex, Near Silver Park, Off MTNL Road,
Mira Road (East), Thane- 401107
अर्चना उर्वशी बधाई हो,सुंदर गीत ।