कविता त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कविता – हम भी परहित करना सीखें द्वारा त्रिलोक सिंह ठकुरेला - September 19, 2021 0 149 सूरज अपनी नव-किरणों से बिखरा देता जग में लाली । बूँदों के मोती बिखराकर बादल फैलाता हरियाली ।। धरती के उपकार असीमित सबको दाना पानी देती । अपने आंचल के आश्रय में सबके सारे दुःख हर लेती ।। उपवन सदा सुगंध लुटाकर सबकी सांसें सुरभित करता । खग-कुल मिलकर गीत सुनाता सबके मन में खुशियां भरता ।। हम भी परहित करना सीखें, मिलकर सब पर नेह लुटायें । औरों के दुःख दर्द मिटाकर इस धरती को स्वर्ग बनायें ।।