होमकवितायोगेंद्र पाण्डेय की कविता - युगों-युगों की तंद्रा कविता योगेंद्र पाण्डेय की कविता – युगों-युगों की तंद्रा By Editor November 5, 2023 0 118 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp लिखते लिखते मैं ये भूल जाता हूं कि लिखता हूं क्यों अपना मन हल्का करने के लिए या किसी के दर्द की आवाज बनने के लिए। मैं लिखता हूं क्योंकि लिखना मेरा धर्म है और सुनना तुम्हारी इच्छा। लिखते लिखते कभी कभी खो जाता हूं किसी अनजान कल्पना लोक में तभी तुम्हारी याद आती है और टूट जाती है युगों युगों की तंद्रा। योगेंद्र पाण्डेय सलेमपुर,देवरिया संपर्क – 6394893753 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखबृज राज किशोर ‘राहगीर’ की ग़ज़ल – रोशनी को आइना दिखला रही हैअगला लेखडा. देवेंद्र गुप्ता की कलम से – यथार्थ की यात्रा में चेतना जगाते व्यंग्य Editor RELATED ARTICLES कविता संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 कविता दामिनी यादव की दो कविताएँ July 20, 2024 कविता आभा दवे की कविता – करवट July 13, 2024 कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 और अधिक लोड करें Latest लालित्य ललित का व्यंग्य – पांडेय जी सम्मान मंडी में July 20, 2024 संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 उपासना सियाग का लेख – केमद्रुम योग July 20, 2024 नरेंद्र कौर छाबड़ा की कहानी – वापसी July 20, 2024 और अधिक लोड करें