होम कविता ज़हीर अली सिद्दीकी की कविता – फूलों पर कविता ज़हीर अली सिद्दीकी की कविता – फूलों पर द्वारा ज़हीर अली सिद्दीकी - February 12, 2023 112 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet पहचान सका ना काटों को, शमसीर उठाया फूलों पर। भौरों की चाहत ठुकराकर, है प्रश्न किया शुभ चिंतक पर।। प्यार किया जिस माली को, तकरार हुआ उस माली से। अपने मतलब से तोड़ किया, मौला समझा जिस माली को।। फितरत जिनका बस चुभना है, उन कांटों से तुम्हे बचना है। चुभ जाएं अगर बह जाए लहू, आगे फिर भी तुम्हे बढ़ना है।। जीवन का खेल अज़ीब मगर, खेलो इस खेल को हारे बगैर। खोजो ख़ुद का आहार मगर, औरों के हक को छीने बगैर।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ की कविता – समुद्री उफान अमित ‘अनहद’ की कविताएँ हरदीप सबरवाल की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.