Sunday, May 19, 2024
होमकविताअंजू खरबंदा की कविताएँ

अंजू खरबंदा की कविताएँ

1 – नारी
नारी की है पैनी दृष्टि
नारी से ही चलती सृष्टि
नारी से घर समाज देश गुलिस्तान
नारी समाज की उत्कृष्ट पहचान!
माँ बहन बहू और बेटी के रूप में
हर रिश्ते में भर देती जान
नारी से संभव हर कल्याण
सिर्फ नारी को ही मिला ये वरदान !
हर रिश्ते को दिल से निभाती
भले ही रोकनी पड़े अपनी उड़ान
देती पल पल कितने इम्तिहान
अविस्मरणीय उसके बलिदान!
बात हो चाहे संतान की
या हो देश के संविधान की
हर मोर्चे की सँभाले कमान
नारी से ही संभव नवनिर्माण!
हर फर्ज निभाती तन्मयता से
न जताती कभी कोई अहसान
दिल में ही दबाए रखती दास्तान
कूट कूट भरा उसमें स्वाभिमान!
माता पिता तो हुए मुक्त
एक बार करके कन्यादान
सहजता से रच बस जाती
संभालती लेती दोनों जहान!
हर सुख दुख में कंधे से कंधा मिलाए
सुघड़ता से सँभाले मचान
तुम जय जयकार कराते करके भूदान
वह बेजुबान हो गृहस्थी को देती देह दान !
नारी की मधुर मुस्कान
घर भर में भर देती जान
साहिबान वह बड़े ही भाग्यवान
जो नारी का दिल से करते सम्मान
नारी है परिवार की धुरी
उनसे ही पुख्ता घर की नींव
वह ही समाज की असली कप्तान
करो सदा नारी पर अभिमान!
नारी हर वेदना को हर लेती
जीवन में आए कितने ही उफान
अंजुम बनो सच्चे कद्रदान
नारी को दो उसके हिस्से का आसमान।
2 – इक बार कहो तुम मेरे हो
जब मुश्किलें सिर उठाने लगे
जब झंझावत मुझे डराने लगे
जब अंखिया दर्द से छलछलाने लगे
चहुँ ओर अँधियारा पसराने लगे
मेरा हाथ अपने होंठो से छुआ
कानों के करीब आ आहिस्ता से
गुनगुना देना तुम मेरे हो!
जब बगिया में फूल मुरझाने लगे
तितली कटे पंख फड़फड़ाने लगे
साँझ जब बोझिल हो ढल जाने लगे
आस की साँस जब बुझ जाने लगे
मेरे हाथ अपने हाथों में ले
माथे पर चुम्बन अंकित कर
बस गुनगुना देना तुम मेरे हो!
तुम्हारे इन तीन शब्दों से
बिखर जाएगा फ़िजा में जादू
फूल बरबस ही मुस्काने लगेंगे
पक्षी आह्लदित हो चहचहाने लगेंगे
खिल उठेगी प्रकृति पुलक कर
शाम भी मधुर गीत गाने लगेंगी
जब तुम मुझे बांहों में भर
उल्लसित हो कहोगे तुम मेरे हो
अंजू खरबंदा
अंजू खरबंदा
संपर्क - anjukharbanda401@gmail.com
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest

Latest