होम कविता डॉ. तारा सिंह अंशुल की दो कविताएँ कविता डॉ. तारा सिंह अंशुल की दो कविताएँ द्वारा डॉ. तारा सिंह अंशुल - November 1, 2020 122 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1- मैं मोहब्बत हूं किसी की दौलत नहीं हूं मैं मोहब्बत हूं ! कोई अमानत नहीं हूं सबकी इज्जत हूं !! जन गण मन में रही सदा,रिहाइश मेरी , शांति प्रेम एकता की है फरमाइश मेरी ! यूं हिंदुस्तान की मैं सनातनी शरीयत हूं ! किसी की दौलत नहीं हूं मैं मोहब्बत हूं !! जाति-धर्म कौम में वतन यूं न बांटिये , गुल खिलें खिले रहें चमन यूं न काटिये! किसी की कल्पना नहीं मैं हकीकत हूं ! किसी की दौलत नहीं हूं मैं मोहब्बत हूं !! छद्मवेश में मिलते लोग गुम है मानवता , लील रही इंसानियत को बढ़ती दानवता ! एक इंसा हूं मैं खुद की शख्सियत हूं ! किसी की दौलत नहीं हूं मैं मोहब्बत हूं !! 2- सुन लो पाक अंतिम यह संदेश हमारा कान खोल कर सुन लो पाक अंतिम ये संदेश हमारा ! कभी न हारेगा चूहों से ये बब्बर शेरों का देश हमारा !! हिंदू मुस्लिम सिख इसाई है कौम जाति व धर्म अनेक , भिन्न भले है सबका मजहब मगर एक परिवेश हमारा ! अरमान है देश का ये कश्मीर भारत का स्वाभिमान है , छेड़ो मत भारतीय सेना को याद करो आवेश हमारा ! आका आतंकियों के पालक अब रोको अपने आतंक , याद करो सन इकहत्तर हश्र वही होगा तेरा वो दोबारा ! कश्मीर की ओर न नजर करो जनता ये ललकार रही , नहीं तुम गर समझोगे तो मिट जाएगा निशान तुम्हारा ! कश्मीर के जर्रे-जर्रे से यूं आती है आवाज़ इन्क्लाबी , हम भारतवासी एक हैं सदा एक रहेगा ये देश हमारा ! आज हिमालय की चोटी से हर सैनिक हुंकार भर रहा , कश्मीर की रट लगाए अगर तो ले लेंगे लाहौर तुम्हारा ! गीदड़ जैसी मौत मिलेगी हर आतंकी को कश्मीर में , भारत का मस्तक कश्मीर टंका भाल परहै ये सितारा ! कान खोल कर सुन लो पाक अंतिम ये संदेश हमारा ! कभी न हारेगा चूहों से बब्बर शेरों का ये देश हमारा ! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं मनवीन कौर की कविता – मेरे पापा हरदीप सबरवाल की चार कविताएँ अनीता रवि की कविता – मैं पांचाली नहीं Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.