1- यादें
कमरे की दीवारों
से चिपकी हुई
है यादें
कुछ तो खिड़कियों
पर बैठी हुई है
कुछ बिखरी पड़ी
है तकिये पर
ढ़लती गुलाबी
साॅंझ की वेला पर
एक – दूसरे का
हाथ पकड़े
नव युगल प्रमी जोड़े
टहलते- फिरते है
नदीश तट पर
देखकर के उनको
याद आते है अपने
यौवन के दिन
हम-तुम भी कभी
ऐसे ही एक- दूसरे
का हाथ पकड़े
घण्टों टहलते रहते
थे सागर किनारे
-निहाल सिंह
झुन्झुनू, राजस्थान
2 – गंगा किनारे गाँव
गंगा किनारे बसे
छोटे- छोटे गाँव
खुद बयां करते है
अपनी कहानी
तेज हवा के झोके से
टकराकर जल की
महीन टुकड़ी घुस
जाती है किवाड़ी
के भीतर
माटी के लेव
टूटकर के बिखर
जाते है इधर -उधर
ऑंगन में
अनगिनत कीड़े
बिखरकर के
खोखली कर
देते है धरा की
तासीर को

निहाल सिंह
झुन्झुनू, राजस्थान
संपर्क – nihal6376n@gmail.com

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.