होम कविता रश्मि बजाज की कविताएँ कविता रश्मि बजाज की कविताएँ द्वारा रश्मि बजाज - May 4, 2019 718 1 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet रश्मि बजाज 1. कहत कबीरन जब हरसू बरसती हों कातिलाना नफ़रतें तो प्रेम पर कविता लिखना रूमानियत नहीं बगावत है! ये बगावत मेरे दौर की लाज़मी ज़रूरत है! 2.पैरहन उस रात मनु,मार्क्स अल्लाह,राम के पैरहन उतार टांग दिये थे जब हमने खूंटी पर- तो जिस्म ही नहीं महक उठी थीं हमारी रूहें भी… 3.नही है ज़िन्दगी की किताब में महका करते हैं वही हरफ़,वही वरक जो लिखे गए हैं प्रेम की स्निग्ध लिपि में ज़िन्दगी नहीं है पंचनामा इतिहास या राजनीति का ! 4. जुर्रत ग़मज़दा इस दौर में हंसने-हंसाने की नाचने-गाने की जश्न मनाने की ख्वाब सजाने की प्यार लुटाने की एक फ़क़त औरत कर सकती है ये ज़ुर्रत संगीनों के सायों में हादसों की ज़द में लम्हा-लम्हा मर कर लम्हा-लम्हा जी कर जानी उसी ने है ज़िन्दगी की क़ीमत! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. हर्षा त्रिवेदी की तीन कविताएँ प्रेमा झा की कविता – माँ रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – सपने 1 टिप्पणी शानदार कविताएँ । जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
शानदार कविताएँ ।