Saturday, July 27, 2024
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सरोजिनी प्रीतम की कविताएँ

1 – लीक न लगि
नयनों की काजर की कोठरी में
वह समाया
लीक लगे न लीक से हटकर
उसने ऐसा प्रेम जताया
वह भी ठगा सा यह भी रही ठगी सी
काजल वाटर प्रूफ…..
काजर की कोठरी से
बड़ी सफाई से निकला
लीक न लगि
2 – अंधानुकरण
उन्होने पूछा-
धृतराष्ट्र तो अंधा था
किन्तु गांधारी ने भी आंखेां पर पटटी बांध ली
उसके पीछे कौन सी राजनीति थी
वे बोले-वस्तुत धृतराष्ट्र ने कहा होगा
मेरा अंधानुकरण करें
और आंख खोल कर तो कोई बुद्धिमती
अंधानुकरण नहीं कर सकती
3 – निर्दोष
रामायण
पढ़ते हुए
वृ़द्ध पिता की,
कनपटियों पर
बन्दूक रखकर, वसीयत लिखवाई
वे अब भी आँखें
मूँदे गा रह थे-
“समरथ को नहीं दोष गुसाई…!!”
4 – मैचफिक्सिंग
अम्पायर की पत्नी ने कहा
सुनो जी बेटी जवान हो गई है
उसके लिए एक भी मैच नहीं मिला
कम से कम विज्ञापन तो दे देते
किसी से भी सांठ गांठ करते
अव्छा सा मैच देख -बिटिया के
हाथ तो पीले करते
हाथ पीले करने की बात पर ही
आप का रंग पीला पड जाता है
पसीने छूटने लगते हैं-चेहरा उतर जाता है
अम्पायर ने पत्नी को चाहा समझाना
मैच फिक्सिंग जुर्म है
बार बार इस शब्द को न दोहराना
गढे मुर्दे उखाडे तो पायेंगे
हमारे तुम्हारे विवाह के चर्चे भी
मैंच फिक्सिंग के अंतर्गत आयेंगे
हम तो कैप्टन की सनक को
सलाम करते हैं
जानती हो खेल के मैदान में
टाॅस जीतने के लिए भी
ये रात भर बिस्तर पर टाॅस करते हैं
करवटें बदलते हैं

सरोजिनी प्रीतम
ईमेल – [email protected]
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