लंदन में किसी भी हिन्दी लेखक की पुस्तक का भव्यतम लोकार्पण
(एक रिपोर्ट)
वर्ष 2022 हिन्दी के लेखकों के लिये ख़ासा भाग्यशाली रहा है। पहले गीतांजलिश्री के हिन्दी उपन्यास रेत समाधि (राजकमल प्रकाशन) के अंग्रेज़ी अनुवाद  टूम्ब ऑफ़ सैण्ड को बुकर्स अवार्ड का मिलना और अब लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स जैसे भव्य स्थल पर अजित राय की पुस्तक बॉलीवुड की बुनियाद (वाणी प्रकाशन) के अंग्रेज़ी अनुवाद हिन्दुजाज़ एण्ड बॉलीवुड का भव्य लोकार्पण ! इस पुस्तक का ख़ूबसूरत अनुवाद किया है युवा पत्रकार मुर्तज़ा अली ख़ान ने।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे बॉलीवुड के सुपर स्टार अक्षय कुमार और संचालन कर रही थीं बैरोनेस संदीप वर्मा। मंच पर तीनों हिन्दुजा भाई विराजमान थे – गोपीचन्द हिन्दुजा, प्रकाश हिन्दुजा और अशोक हिन्दुजा। उनके अतिरिक्त लॉर्ड तारिक़, लॉर्ड लूम्बा, फ़िल्म निर्माता वाशु भगनानी और विजय गोयल भी मंच की शोभा बढ़ा रहे थे। संगीतकार अनु मलिक भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
हिन्दी जगत से ज़किया ज़ुबैरी, दिव्या माथुर, निखिल कौशिक और सारिका कौशिक मौजूद थे तो संस्कृति क्षेत्र से मीरा कौशिक और अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा से मारियान बोर्गो (फ़्रांस)। उनके अतिरिक्त वहां राजनीति, बिज़नस, पत्रकारिता, जगत से तमाम लोग उपस्थित थे।
अक्षय कुमार से जब अजित राय ने पूछा कि क्या वे सत्यजीत राय टाइप का सिनेमा कभी बनाएंगे। तो अक्षय ने बहुत शालीनता से जवाब दिया कि मैं जिस तरह का सिनेमा बनाता हूं वो आम आदमी तक पहुंचाने के उद्देश्य से बनाता हूं।
श्रोताओं में से निखिल कौशिक ने सवाल किया कि क्या अक्षय कुमार की रुचि प्रवासी जीवन में है… क्योंकि कुछ प्रवासी हिन्दी लेखकों ने बहुत ही ख़ूबसूरत कहानियां हिन्दी जगत को दी हैं जिन पर फ़िल्म बनाई जा सकती है। अक्षय कुमार का जवाब था कि यदि कोई कहानी मिलेगी तो अवश्य उस पर काम करना चाहूंगा।
जब मँच से गोपीचन्द हिन्दुजा ने अजित राय को अपना मित्र कहा तो अजित के साथ-साथ पूरे हिन्दी जगत का सिर गर्व से ऊंचा हो उठा। उन्होंने बताया कि अजित राय ने उन्हें बिना किसी सूचना के यह किताब लिख डाली है। यदि उन्हें पता होता तो वे अजित के साथ बातचीत करते ही नहीं। मगर तीनों भाइयों की आँखों में किताब के प्रति उत्साह देखते ही बनता था।
गोपीचन्द हिन्दुजा ने अपने बीस वर्षों के बॉलीवुड सिनेमा के साथ जुड़ाव के कई किस्से सभी श्रोताओं के साथ साझा किये। राजकपूर और उनके परिवार के प्रति गोपीचन्द जी की आवाज़ में ख़ास आदर और स्नेह महसूस किया जा सकता था।
तमाम वक्ताओं ने एक बात समान रूप से कही कि उन्हें बॉलीवुड में हिन्दुजा बंधुओं के योगदान की ख़बर ही नहीं थी। यदि यह पुस्तक प्रकाशित न होती तो बहुत सी सूचनाएं और चित्र बस वक्त की धूल के नीचे दबे रह जाते।
इस अवसर पर बोलते हुए अजित राय ने कहा कि इस किताब का एक एक शब्द और एक एक तस्वीर पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित हो रही है क्योंकि हिन्दुजा परिवार ने हमेशा मीडिया और प्रचार प्रसार से दूरी बनाए रखी है। उन्होंने कहा कि यह किताब हिन्दुजा बंधुओं के बहाने करीब 1200 हिन्दी फ़िल्मों की वैश्विक सांस्कृतिक यात्रा है।

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