Wednesday, October 16, 2024
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शोभा रानी गोयल की कहानी – सच

काॅलबेल की आवाज सुनकर विभा ने दरवाजा खोला। उसका देवर जय था। औपचारिक हाल चाल पूछने के बाद जय बोला-भाभी आज आप हाफ डे ले लिजिए।
क्यों जय भैया? उसने चौंकते हुए पूछा।
वो भाभी मैंने अपने बॉस और कुछ डेलिगेट्स को आज रात के खाने पर बुलाया है। भाभी आप से अच्छा खाना कौन बना सकता है। इसीलिए…
लेकिन… जय भैया, ऑफिस में हाफ डे नहीं मिलता इस बार हमारे कमिश्नर साहब बहुत सख्त है, सीधा मुझे नोटिस पकड़ा देंगे। विभा ने अपनी विवशता जाहिर की।
प्प्लीज भाभी, आप कुछ भी कीजिए मगर आज मेरी इज्जत रख लीजिए। मैंने उन लोगों को इनवाइट कर दिया है, अब मैं मना भी नहीं कर सकता। मेरे प्रमोशन का सवाल है प्लीज भाभी, प्लीज मेरी हेल्प कीजिए।
तू अनन्या को खाना बनाने को क्यों नहीं कहता, तेरे प्रमोशन की चिंता उसे होनी चाहिए या नहीं। वह तेरी पत्नी है जय की मां ने हस्तक्षेप करते हुए कहा।
मां, आप जानती है ना, अनन्या को खाना बनाना नहीं आता। वह रोटी दाल बना ले वही बहुत है। वैसे भी आज उसकी किट्टी पार्टी है। वह वहां बिजी होगी। जय ने नजरें चुराते हुए कहा।
तुम्हारे बॉस खाने पर आ रहे हैं और तुम्हारी पत्नी किट्टी पार्टी में मशरूफ है इसका मतलब….
मै खाना बना दूंगी जय, बहस बढ़ती देख विभा ने बात संभाली। मै शाम को आफिस से सीधे तुम्हारे घर पहुंचती हूं। ठीक है ना…
नहीं भाभी, मैंने अपने बॉस और बाकी लोगों को यहां की लोकेशन भेजी है वे लोग यहीं आ रहे हैं। प्लीज़ आप खाना बनाने के लिए जो भी चाहिए वो ले आना। मै बाॅस के साथ व्यस्त रहुंगा।
विभा को गुस्सा तो बहुत आया मगर घर का माहौल न बिगडे इसलिए वो अंदर ही जज्ब कर गयी।
वाह बेटा! तेरा खुद का प्रमोशन है और तुने उन लोगों को यहां बुलाया है तेरे घर में क्या समस्या थी अच्छा भला थ्री बीएचके फ्लैट हैं सुख सुविधा से संपन्न है। मां के स्वर में गुस्सा झलक रहा था।
मां आज मेड छुट्टी पर है। अनन्या से झाड़ू पोछा नहीं होता, बच्चों ने घर फैला रखा है। वैसे भी मैंने उन लोगों से झूठ बोला है कि हम संयुक्त परिवार में रहते हैं।
जय की बात सुनकर मां ने सिर पीट लिया। जय कह सुनकर अपने घर चला गया। विभा ने रसोई की ओर कदम बढाये। लंच पैक करते-करते उसके हाथ मशीन की तरह चल रहे थे। कामकाजी स्त्रियां घड़ी की सुइयों से भी तेज भागती है। शाम के लिए उसने छौले भिगोए दूध गर्म कर जावन लगाया, नाॅन के लिए आटा गुथ के रख दिया‌। बाकी काम वह ऑफिस से आ कर कर लेगी। गर्म तेल की कटोरी और बीपी की दवाई लेकर अपनी सास के पास पहूंची और उन्हें पकड़ाते हुए बोली-आप चिंता मत कीजिए मांजी मैं सब संभाल लुंगी।
जानती हूं तु सब कुछ संभाल लेगी लेकिन अनन्या को भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। दीपक ट्यूर पर रहता है तू कामकाजी है फिर भी तू झाड़ू पोछा और घर के बाकी सारे काम करती है दीपक के ट्यूर पर रहने के कारण बाहर के काम भी तुझे देखने होते है। तेरे ऊपर तो दोहरी जिम्मेदारी है एक वह अनन्या है सारा दिन घर पर रहती है घर के हर काम के लिए नौकर चाकर लगे हुए हैं खाना तक कुक बना कर देता है। मगर उससे अपने पति का एक प्रमोशन संभाला नहीं जाता। मां के स्वर में नाराजगी थी।
जाने दीजिए मां जी, आप परेशान न हों। मैं ऑफिस निकलती हूं आप अपना ध्यान रखिएगा। वह अपनी स्कूटी स्टार्ट कर चली गई।
विभा की सरकारी नौकरी है सुबह 9:30 बजे से शुरू हुई ड्यूटी शाम 6:00 बजे खत्म होती है। 9:00 बजे की निकली विभा शाम 7:00 बजे तक घर पहुंचती है। रास्ते से ही दूध और सब्जी खरीद कर ले जाती है। वह कहती है कि उसकी ड्यूटी सुबह 5:00 बजे से शुरू होकर रात 10:00 बजे खत्म होती है। वह घर के कामों के लिए मेड रख सकती है मगर मेड 10-11 बजे आने के लिए कहती है और वह सुबह 9:00 बजे ऑफिस निकल जाती है। मांजी गठिया रोग से पीड़ित हैं कहां मेड के पीछे पीछे घूमेगी। आजकल मेड के नखरे भी कितने हैं। इससे अच्छा है घर के काम सहुलियत के हिसाब से खुद कर लो।
शाम को वह दूध, पनीर और सब्जी लेकर घर पहुंची। कपड़े बदल कर बेटे का होमवर्क चेक किया फिर किचन में जाकर दो कप चाय बनाई। चाय बनाते बनाते ही उसने पनीर को फ्राई कर लिया। एक चाय मां जी को देकर वह खाना बनाने में जुट गई। देवर के प्रमोशन का सवाल है खाना बनाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। खाना बनाते बनाते ही उसे पौने नौ बज गए ठीक 9:00 बजे उसकी देवरानी अनन्या ने घर में प्
कदम रखा – हेलो भाभी डिनर रेडी है क्या।
हां अनन्या…सहसा उसकी नजर अनन्या पर ठहर गयी। अनन्या बड़ी सुंदर लग रही हो।
हां भाभी वो किटी पार्टी के बाद मै बहुत थक गई थी सोचा स्पा ले लूं इसलिए पार्लर चली गयी, वही से तैयार होकर आ रही हूं। आखिर इनके प्रमोशन का सवाल है इंप्रेशन अच्छा पडना चाहिए।
हूं.. विभा ने हरा धनिया काटते हुए बोली।
भाभी आप भी चेंज कर लीजिए। आपके पूरे सूट पर हल्दी के दाग लग गये है। अनन्या ने हल्दी के दाग की ओर इशारा करते हुए कहा।
अनन्या बस अभी जा ही रही हूं बस थोड़ा सलाद काट दुं। वैसे भी जय 9:30 तक मेहमानों को लेकर आएगा। डाइनिंग टेबल भी तैयार है।
ठीक 9:30 बजे जय अपने बॉस और बाकी के डेलीगेट्स के साथ घर में प्रवेश किया। उसने सबसे पहले अपनी मां से परिचय कराया फिर अनन्या से, तभी विभा एक ट्रे में पानी के गिलास लेकर आई जय ने अपने बॉस से कहा- यह मेरी भाभी विभा गुप्ता है यह फाइनेंस डिपार्टमेंट में इनफार्मेशन असिस्टेंट है।
विभा ने दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन किया। खाना तैयार है जय सबको डाइनिंग टेबल पर लेकर आओ।
जितनी मनोयोग से विभा ने खाना बनाया उतने ही मनुहार से वह सबको खिला भी रही थी। अनन्या खाना सर्व करने में उसकी मदद कर रही थी। खाना खाकर सब लोग गेस्ट रूम में आ गए। जय के बॉस ने तारीफों के पुल बांधते हुए कहा- जय खाना बहुत बहुत स्वादिष्ट बना था। तुम्हारी पत्नी के हाथ में अन्नपूर्णा विराजती है
विभा का दिल बैठ गया। बॉस ने आगे कहना जारी रखा- घर को इतने सुंदर तरीके से मैनेज किया है कि तारीफ करने के लिए शब्द भी कम है। खुद भी तो कितनी प्रभावशाली लग रही हैं संयुक्त परिवार में सब से तालमेल बिठाना एक सुघड गृहणी का ही काम है। कामकाजी स्त्रियां अपने हिस्से का टिफिन बना कर चली जाती है। उनकी मजबूरी है वो घर में वक्त नहीं दे पाती हैं। विभा जी आप लकी हैं जो अनन्या जैसी देवरानी मिली है जिसकी वजह से आप नौकरी कर पा रही हैं। वरना कामकाजी स्त्रियां से न‌घर संभलता है और न ही बाहर के काम।
विभा मौके की नजाकत देखकर चुप रही। वह कुछ नहीं बोली उसका गला रूंध गया। आज उसने एक मिनट के लिए भी आराम नहीं किया। सारा दिन काम में लगी रही पूरा खाना उसने खुद बनाया। खाना परोसने में अनन्या ने जरा सा हाथ क्या बंटा दिया सारा श्रेय उसे ही मिल गया।
भाभी की मनोस्थिति जय से छिपी नहीं थी। वह कुछ बोलने को उद्धत हुआ ही था कि विभा ने आंखों के इशारे से मना कर दिया। मेहमान जाने के बाद वह सीधे विभा के पास पहुंचा-भाभी आपने मुझे क्यों रोका? बाॅस को बताना था ना यह सारा खाना और व्यवस्था आपने अकेले की है।
कोई बात नहीं जय। हम सब परिवार के सदस्य हैं क्या हुआ जो तारीफ अनन्या के हिस्से आयी। यह पहली या आखरी बार नहीं है। कामकाजी स्त्रियों को हमेशा से घर के मोर्चे पर कमतर ही समझा जाता रहा है। लोगों को गलतफहमी होती है कि हम घर से ज्यादा तवज्जो बाहर के कामों को देते हैं लेकिन सच यह है कि हम दोनों जगह पर युद्ध स्तर की तरह पिसते है। दोनों स्तरों पर संतुलन बना रहे इसकी पूरी कोशिश करते हैं। तु दिल छोटा मत कर इस बेरुखी के हम आदी हैं। तेरा प्रमोशन हो जाए तो किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में पार्टी दे देना। विभा मुस्कुराती हुई डायनिंग टेबल से बर्तन समेटने लगी।
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