अमीन सयानी,एक ऐसी आवाज़ जो समूचे भारतीय उपमहाद्वीप को गुंजायमान रखती थी।अब अपनी अनंत यात्रा पर चली गई है।अपनी लोचदार खनकती आवाज़ और भाषाई मुकरी से लबरेज़ हर दिल अजीज़ अमीन सयानी,अब बस संचार माध्यमों में संचित होकर अमर हो गए हैं। बेहद अलग सा अंदाज़ था,बानगी देखिए,”बहनों और भाइयों.” आम फहम भाषा से इसके ठीक उलट  यानी अनूठे अंदाज से कहते थे ,एक बार पूछे जाने पर बताया कि लेडीज फर्स्ट ही तो संस्कृति है,बस और क्या ?! ऐसे जादुई आवाजे मालिक थे और उन्होंने यह बात भी मजबूती से पेश की, आवाज़ के साथ साथ भरपूर जानकारी और उसे प्रस्तुत करने का हुनर क्या होता है! उनकी शख्सियत का जादू साथ दशक या उस  से  भी ज्यादा समय तक सर चढ़ कर बोला!
ऐसी महबूब शख्सियत का जन्म 21 दिसंबर 1932 बम्बई,बम्बई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ था।इनकी स्कूली शिक्षा सिन्धिया स्कूल में और बाद की पढ़ाई सेंट जेवियर्स कॉलेज में पूरी हुई।कहते हैं,अमीन सयानी ने महात्मा गांधी के निर्देशों के तहत नव-साक्षरों के लिए एक पाक्षिक पत्रिका के संपादन, प्रकाशन और मुद्रण में अपनी मां श्रीमती कुलसुम सयानी की सहायता की और यह पत्रिका थी पाक्षिक, रहबर (1940 से 1960), एक साथ देवनागरी (हिंदी), उर्दू और गुजराती लिपियों में प्रकाशित हुआ करती थी – लेकिन सभी गांधी द्वारा प्रचारित सरल ” हिंदुस्तानी ” भाषा में।

इस तरह के शानदार अनुभव के बाद सन 1951 में बतौर उद्घोषक,रेडियो जॉकी अमीन सयानी को उनके भाई हामिद सयानी ने ऑल इंडिया रेडियो,बॉम्बे से परिचित कराया था।हमारे अमीन सयानी ने वहां दस वर्षों तक अंग्रेजी कार्यक्रमों में भाग लिया।बाद में, उन्होंने भारत में ऑल इंडिया रेडियो को लोकप्रिय बनाने में मदद की।ऑल इंडिया रेडियो (1951 से), आकाशवाणी की वाणिज्यिक सेवा (1970 से) और विभिन्न विदेशी स्टेशनों (1976 से) के बीच,कुल मिलाकर इस आवाज़  के शहंशाह ने 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स का निर्माण, संचालन (या उनके लिए भाषण) किया है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स  ने इस पुरोधा को बड़े गर्व के साथ अपने ख़ज़ाने में दर्ज़ किया है।
कौन भूल सकता है रेडियो शो सिबाका(पूर्व में बिनाका ) गीतमाला :1952 से प्रसारण  मुख्य रूप से रेडियो सीलोन पर  हुआ करता था और बाद में विविध भारती(एआईआर) के माध्यम से यह श्रोताओं के मन को गुलज़ार  करता रहा। एक समय ऐसा भी हुआ कि  इसी प्रोग्राम को कोलगेट सिबाका गीतमाला के रूप में विविध भारती के राष्ट्रीय नेट वर्क पर प्रसारित किया गया।उनके अन्य लोकप्रिय कार्यक्रम रहे एस कुमार का फिल्मी मुक़द्दमा और यह कार्यक्रम 7 वर्षों तक आकाश वाणी और विविध भारती से प्रसारित होता रहा।
सैरेडॉन के साथी जोकि एआईआर का पहला  प्रायोजित शो रहा,बॉर्नविटा क्विज़ प्रतियोगिता (अंग्रेजी में) लगभग  8 वर्ष भारतीय किशोरों को शोकेस करता रहा।शालीमार सुपर लैक जोड़ी भी लगातार 7 साल संचालित हुआ।एक  के एक शो यथा मराठा दरबार शो: सितारों की पसंद, चमकते सितारे, महकती बातें, पूरे 14 वर्ष तक बादशाहत से चले।संगीत के सितारों की महफ़िल प्रमुख रहे। अमीन सयानी की आवाज़ अल्फाज़ और अंदाज़ ए बंया एक इतना ताजगी से भरा होता था कि श्रोता अपने आपको एक बेहद खुशनुमा माहौल और मूड में महसूस करते थे।
अमीन सयानी ने वास्तविक एचआईवी/एड्स मामलों पर आधारित नाटकों के रूप में 13- एपिसोड की रेडियो श्रृंखला भी बनाई – जिसमें प्रख्यात डॉक्टरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साक्षात्कार भी शामिल हैं। (श्रृंखला – जिसका शीर्षक स्वनाश है -ऑल इंडिया रेडियो द्वारा शुरू की गई थी।देश और एशिया फलक के साथ साथ अमीन सयानी 1976 से भारतीय रेडियो शो और विज्ञापनों के निर्यात में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका,कनाडा , इंग्लैंड , संयुक्त अरब अमीरात , स्वाजीलैंड , मॉरीशस , दक्षिण अफ्रीका , फिजी और न्यूजीलैंड को निर्यात किया है।
इसके अलावा,उन्होंने विदेशों में रेडियो स्टेशनों के लिए सीधे कई शो की रचना की है।उनके कुछ चुनिंदा सफल अंतर्राष्ट्रीय रेडियो शो”फ़िल्म स्टार साक्षात्कारों के लघु सम्मिलन”: यूके में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के एथनिक नेटवर्क पर”,लाखों लोगों के लिए संगीत”: बीबीसी के वर्ल्ड सर्विस रेडियो के लिए”वीटी का हंगामा”: ओवर सनराइज रेडियो, लंदन,”गीतमाला की यादें”: रेडियो उम्मुल क्वैन पर,संयुक्त अरब अमीरात,”ये भी चंगा वो भी खूब”: रेडियो एशिया, संयुक्त अरब अमीरात पर, “हंगामाय”: टोरंटो , वाशिंगटन,ह्यूस्टन , लॉस एंजिल्स , सैन फ्रांसिस्को7 और बोस्टन में जातीय रेडियो स्टेशनों पर,”संगीत पहेली” : रेडियो ट्रूरो, स्वाजीलैंड रहे।स्टेज कंपेयरिंग सयानी ने भारत में सभी प्रकार के 2,000 से अधिक स्टेज समारोहों का संचालन किया है , जिसमें संगीत विविध शो, सौंदर्य प्रतियोगिता, फैशन शो, पुरस्कार समारोह, फिल्म रजत जयंती समारोह, एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव समापन सत्र (दिल्ली में), संगीत कार्यक्रम, सेमिनार, कार्यशालाएं और व्यापार प्रस्तुतियाँ।
अमीन सयानी को अनेकों सम्मान और पुरस्कार मिले जिसमें 2009 में, उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, इंडिया रेडियो फोरम के साथ लूपफेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से लिविंग लीजेंड अवार्ड (2006)।रेडियो मिर्ची ( टाइम्स  ग्रुप का एफएम नेटवर्क )से कान हॉल ऑफ फेम अवॉर्ड (2003)सेंचुरी के उत्कृष्ट रेडियो अभियान (“बिनाका/सिबाका गीतमाला”) के लिए एडवरटाइजिंग क्लब, बॉम्बे (2000) द्वारा गोल्डन 7 एबी,इंडियन एकेडमी ऑफ एडवरटाइजिंग फिल्म आर्ट (IAAFA) की ओर से हॉल ऑफ फेम अवार्ड (1993)पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड (1992) लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवरटाइजर्स (आईएसए) की ओर से स्वर्ण पदक (1991) भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री केआर नारायणन द्वारा प्रदान किया गया।2007 में नई दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदी भवन द्वारा उन्हें “हिंदी रत्न पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
अमीन  सयानी जी चिर युवा सर्जक देव आनंद के बड़े भाई गोल्डी यानी विजय आनंद के कॉलेज के समय से दोस्त थे और कई कार्यक्रमों में गोल्डी उनकी यादों के पिटारे से नमूदार भी हुए।वे भूत बंगला , टीन डेवियन , बॉक्सर और क़त्ल जैसी विभिन्न फिल्मों का भी हिस्सा रहे। इन सभी फिल्मों में वह किसी न किसी कार्यक्रम में उद्घोषक की भूमिका में नजर आए।उन्हें याद करते हुए डॉक्टर शैलेश श्रीवास्तव एक्स  मुम्बई दूरदर्शन फिल्मी गीतों का मशहूर कार्यक्रम “रंगोली” की डायरेक्टर और प्रस्तुतकर्ता  उनसे मुलाकात को कुछ यूं  साझा करती हैं, अमीन सयानी जी की आवाज़ हमारे दिलों में बसती रही।
जब मैं मुम्बई दूरदर्शन पर वर्ष 2000 में पोस्ट हुई तभी से अमीन साहब से मिलने की चाह  मन में रही और  फिर मैंने उनके स्टूडियो का नम्बर पता किया और फोन से उनसे बात की तो आवाज  जिसका जादू सर चढ़कर बोलता था मन रोमांचित हो गया और मैं दूसरे दिन उनके स्टूडियो “सेसिल” जो मुम्बई के फोर्ट एरिया में आज भी है उनके चरण स्पर्श कर अपना परिचय दिया उनका सलोना चेहरा बाल सुलभ मुस्कान के साथ उन्होंने मेरी आवाज को माईक पर सुना और मेरी तारीफ की मैं धन्य हो गई। उसके बाद उन्होंने एकाध जिंगल मुझसे करवाया।यदा कदा कार्यक्रमों में उनसे मिलना हुआ करता रहा।
वे भारतीयता की हिमायती थे,हाल के विगत वर्ष या उसके आस पास, एक कार्यक्रम में आमंत्रित थे और तभी यह कालजयी बात सामने आई कि फिल्म संगीत ने हमारी देश को अब तक  एक सूत्र/माला में बांध कर/पिरो कर रखा है,नहीं तो कब के बिखर गए होते।वे कहीं न कहीं वसुधैव कुटुंबकम् की विचाराधारा के पैरोकार  रहे।
आज आवाज़ का पुरोधा अब हमारे बीच में अपने बेमिसाल कार्यों का ज्योति पुंज छोड़ कर गया है और वही अब उनकी सजीव उपस्थिति होगी।
पुरवाई परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
सूर्य कांत शर्मा
फ्लैट नंबर बी वन
मानसरोवर अपार्टमेंट
प्लॉट नंबर तीन सेक्टर पांच
द्वारका नई दिल्ली 110075
suryakant.sharma1902@gmail.com

1 टिप्पणी

  1. अमीन सयानी जी की दमदार आवाज़ से कौन परिचित नहीं होगा!! उनके बारे में आद्योपरांत जानकारी देने के आभार।
    अमीन सयानी जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

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