Sunday, May 19, 2024
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डॉ.रेनू सिरोया “कुमुदिनी” की कविता – दीवाली यूँ मनाएँ हम

संकल्पों की ज्योत जलाएँ
तम को दूर भगाएँ हम
अश्रु पौंछे मुस्कानों से
दीवाली यूँ मनाएँ हम
बिलख रहे हो भूखें बच्चें
उनको गले लगाएँ हम
तन मन धन से खुशियां देकर
दीवाली यूँ मनाएँ हम
असुरक्षित हो यदि नारी
उसकी लाज बचाएँ हम
उनको दे सम्मान सुरक्षा
दीवाली यूँ मनाएँ हम
यदि कहीं अँधियारा हो
प्रेम के दीप जलाएँ हम
खुशियों से मन रोशन कर
दीवाली यूँ मनाएँ हम
बाती सा जीवन बन जाये
जल के तमस को दूर भगाएँ
जीवन में शुभ पुण्य कमाकर
दीवाली यूँ मनाएँ हम
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