होम कविता डॉ.रेनू सिरोया “कुमुदिनी” की कविता – दीवाली यूँ मनाएँ हम कविता डॉ.रेनू सिरोया “कुमुदिनी” की कविता – दीवाली यूँ मनाएँ हम द्वारा डॉ रेनू सिरोया "कुमुदिनी" - November 15, 2020 107 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet संकल्पों की ज्योत जलाएँ तम को दूर भगाएँ हम अश्रु पौंछे मुस्कानों से दीवाली यूँ मनाएँ हम बिलख रहे हो भूखें बच्चें उनको गले लगाएँ हम तन मन धन से खुशियां देकर दीवाली यूँ मनाएँ हम असुरक्षित हो यदि नारी उसकी लाज बचाएँ हम उनको दे सम्मान सुरक्षा दीवाली यूँ मनाएँ हम यदि कहीं अँधियारा हो प्रेम के दीप जलाएँ हम खुशियों से मन रोशन कर दीवाली यूँ मनाएँ हम बाती सा जीवन बन जाये जल के तमस को दूर भगाएँ जीवन में शुभ पुण्य कमाकर दीवाली यूँ मनाएँ हम संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं चंद्र मोहन की तीन कविताएँ सूर्यकांत शर्मा की कविता – कोई समझा नहीं कुसुम पालीवाल की कविता – आओ ! सूरज से आँख मिलाएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.