होम कविता अरुणा कालिया की कविता – हे भारतीय नारी कविता अरुणा कालिया की कविता – हे भारतीय नारी द्वारा अरुणा कालिया - November 15, 2020 85 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet सौंदर्य का खज़ाना हो लुटेरों को आमंत्रण न दिया करो। तुम्हारे सौंदर्य से स्वर्ग का इंद्र भी रश्क़ करता है। भूखों से बचो, भोली बनकर नहीं शेरनी सी दहाड़ा करो। तुम्हारा सौंदर्य तुम्हारी सौम्यता है नग्नता नहींं। भक्षकों से बचो, ग्रास बनकर नहीं लक्ष्मीबाई-सी खूंखार बनो। ओछी पोशाक में आधुनिकता नहीं कामुकता भड़कती है। भड़की कामुकता से गरीब बच्चियों को शिकार होने से बचा लो। हे भारतीय नारी तुम मां हो, बेटों को शिक्षित करो सम्मान पहला सबक हो नारी का ऐसा तुम सृजन करो। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं कृष्ण कांत पण्ड्या की कविता रश्मि पाण्डेय की कविता – अधूरे सपने तोषी अमृता के निश्छल, शर्मीले, भोले मुक्तक Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.