Saturday, July 27, 2024
होमकविताडॉ. स्वाति सिंह की कविता - सत्य

डॉ. स्वाति सिंह की कविता – सत्य

एक धोबी के प्रश्न से,

सीता मैली हो नहीं सकती।

किसी के मन के मैल को  सीता, धो नहीं सकती।

सीता सत्य है, सीता सत है,

यह विश्वास खो नहीं सकती।

सीता राम है, राममय है,

अपना वर्चस्व खो नही सकती।

अजी, सलाखों के अंदर गैलेलीयो को रखने से

पृथ्वी का आकार बदल नहीं सकता,

पृथ्वी गोल है, इसमें कुछ बदल हो नहीं सकता।

सूली पर चढ़ाने से

यीशु का, ईश कम नहीं हो सकता।

मानव का मसीहा अमर है,

गौरव, उसका कम हो नहीं सकता।

सत्य सत्य है

अंधेरा होने से उसका उजाला,

कम हो नहीं सकता।

धुंध में कुंद हो नहीं सकता

उजाला रोशनी खो नहीं सकता।

हां, सत्य परेशान हो सकता है,

पराजित हो नहीं सकता।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest