फिर बजेंगी स्कूलों की घंटी
चिडिया चूँ – चूँ करती आई
कोयल गाना गाती आई ।
परिंदों का स्वर नभ में गूँजा
रश्मि प्रभा भी मुस्काती आई ।।
मम्मी-पापा सबका यह कहना
घर में रहना , घर पर ही पढ़ना ।
दादी हमें अच्छी बात समझाती
फिर खुलेंगे स्कूल धैर्य रखना ।।
घर – घर बनें स्कूल , बजी घंटी
पढ़ने बैठो गोलू – राजू – बंटी ।
पढाई न रुकी हैं , न रुकेंगी
फिर बजेगी स्कूलों में घंटी ।।
आत्मनिर्भर
जीवन के हर विकट संकट को
तारने के लिए बनें हम आत्मनिर्भर ।
अपनी आत्मशक्ति को इतना जगाएं
पर्वत को उठाकर बनें हम भी गिरधर ।।
राष्ट्र की उन्नति में देकर योगदान
पा लें हम खुशहाली का शिखर ।
जीवन में कभी न होगी निराशा
छू लेगें आसमां होकर आत्मनिर्भर ।।