वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – जब काम पहचान बन जाए
"नाम में क्या रखा है? काम करो, जमाने में काम बोलता है।" यह कथन हममें से अधिकांश लोगों ने कभी ना कभी ज़रूर सुना है। युवाओं को अपने शुभचिंतकों से और बचपन में अपने माता-पिता से अक्सर यह नसीहत मिलती रही है। अब सवाल...
वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – सबसे महत्वपूर्ण कौन है?
इस समय भारत के पाँच राज्यों में चुनाव की तैयारियाँ जोरों पर हैं। सभी राजनीतिक दल एक-एक वोटर को लुभाने में लगे है। उनके लिए हर एक, और प्रत्येक वोट महत्वपूर्ण है। इसका मतलब हुआ कि अपनी जगह पर हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है।
आइये, इससे...
देवी नागरानी का संस्मरण – कल, आज और कल
यादें भी फूलों की तरह खिलती है, खुशबू बिखेरती है, फिर नए मोड़ पर आकर मुरझा जाती है. कभी यूं ही होता है कि अनगिनत फिजाओं के मौसम आकर चले जाते हैं पर उन फूलों पर कभी शबनम नहीं ठहरती.
2020 की पुरानी दहलीज की...
वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – स्मृतियों का दीपोत्सव
पर्व-त्यौहारों के साथ हमारी स्मृतियाँ जुड़ी रहती हैं। बचपन की यादें, लड़कपन के किस्से, युवा होते हुए दौर की स्मृतियाँ और लगभग हर मुमकिन रिश्ते के साथ किसी ना किसी तरह की यादों का संसार बसा रहता है।
आज हम दीपावली मना रहे हैं। इसी...
विनय सिंह बैस का लेख – चंदा तेरे कितने रूप!!
चंद्रमा पूजनीय है क्योंकि हमारे शास्त्रों में चंदा को ब्रह्माजी का मानस-पुत्र कहा गया है। चंद्रमा को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त है, इसलिए सुहागिन स्त्रियां कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (करवा चौथ) को पति की लंबी आयु के लिए निर्जला...
डॉ रघुवीर चारण का लेख – गाँव धोरडो :- ग्रामीण पर्यटन का वैश्विक केंद्र
भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है।भारत की विविधता और प्राकृतिक सुंदरता दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है हमारे यहाँ उतर में हिमालय की मनमोहक वादियाँ व कश्मीर घाटी से...