होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. रूबी भूषण की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत डॉ. रूबी भूषण की ग़ज़ल द्वारा Editor - December 11, 2022 43 2 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet रंग बिखरे हुए फ़िज़ा में हैं हम मुहब्बत की इंतेहा में हैं हम को छेड़े न कोई दुनिया में इश्क़ की मदभरी सज़ा में हैं महकी जाती हैं अपनी सांसें भी खिलती कलियों की हम दुआ में हैं ढूंढते हैं वफ़ाओं की मंज़िल राज़ सारे तो नक़्श ए पा में हैं आप से बस दुआएं चाहती हूं आप शामिल मेरी दुआ में हैं प्यार करना तो कोई जुर्म नहीं कौन सी हम बड़ी ख़ता में हैं कोई नफ़रत न रूबी बांट सके हम मुहब्बत भरी फ़िज़ां में हैं डॉ रूबी भूषण 102, शिवराज अपार्टमेंट, ईस्ट बोरिंग कैनल रोड, पंचमुखी हनुमान मंदिर के समीप, पटना-800001 मोबाइल – +91-9931918723 Email – ruby4u30@gmail.com संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं नीलम वर्मा की ग़ज़ल त्रिलोक सिंह ठकुरेला का गीत – मैं उजाला बाँटता हूँ, तिमिर में डूबे घरों में डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ के दो गीत 2 टिप्पणी रूबी जी ,लाज़वाब ग़ज़ल कही वाह वाह क्या बात है । Dr Prabha mishra जवाब दें धन्यवाद प्रभा जी जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
रूबी जी ,लाज़वाब ग़ज़ल कही
वाह वाह क्या बात है ।
Dr Prabha mishra
धन्यवाद प्रभा जी