होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. सुनील जोगी की ग़ज़ल – बुराई ही अब रहनुमा हो गई... ग़ज़ल एवं गीतफीचर डॉ. सुनील जोगी की ग़ज़ल – बुराई ही अब रहनुमा हो गई है द्वारा डॉ. सुनील जोगी - May 9, 2021 245 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet बताए कोई क्या ख़ता हो गई है कि दुश्मन हमारी हवा हो गई है मरीज़ों के जेबों में पैसे भरे हैं नदारद यहाँ से दवा हो गई है कफ़न तक नहीं रह गया है बदन पर यहां शर्म शायद विदा हो गई है भरोसा नहीं रह गया है किसी का शराफ़त बहुत बदनुमा हो गई है वही सांस जो अब तलक हमक़दम थी वही ज़िन्दगी की सज़ा हो गई है चिता जल चुकी आदमीयत की ‘जोगी’ बुराई ही अब रहनुमा हो गई है । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं देवी नागरानी का संस्मरण – कल, आज और कल दीपावली पर विशेष : वशिष्ठ अनूप का गीत आशा विनय सिंह बैस का लेख – बचपन और दीपावली कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.