Friday, October 11, 2024
होमग़ज़ल एवं गीतडॉ. सुनील जोगी की ग़ज़ल - बुराई ही अब रहनुमा हो गई...

डॉ. सुनील जोगी की ग़ज़ल – बुराई ही अब रहनुमा हो गई है

बताए कोई क्या ख़ता हो गई है
कि दुश्मन हमारी हवा हो गई है 
मरीज़ों के जेबों में पैसे भरे हैं
नदारद यहाँ से दवा हो गई है 
कफ़न तक नहीं रह गया है बदन पर
यहां शर्म शायद विदा हो गई है
भरोसा नहीं रह गया है किसी का
शराफ़त बहुत बदनुमा हो गई है
वही सांस जो अब तलक हमक़दम थी
वही ज़िन्दगी की सज़ा हो गई है
चिता जल चुकी आदमीयत की ‘जोगी’
बुराई ही अब रहनुमा हो गई है ।
डॉ. सुनील जोगी
डॉ. सुनील जोगी
डॉ. सुनील जोगी हिंदी के लोकप्रिय कवि हैं. 'मुश्किल है अपना मेल प्रिये' इनकी अत्यंत प्रसिद्ध कविता है. संपर्क - [email protected]
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest