वर्तमान सरकार को चाहिये कि कोरोना से लड़ने के लिये वैज्ञानकों और डॉक्टरों की सलाह तो पूरी तरह से माने मगर एक समिति का गठन करे। इस समिति में काँग्रेस, आम आदमी पार्टी, वाम दल एवं समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ साथ रवीश कुमार एवं राजदीप सरदेसाई को भी शामिल करे। यह समिति सीधी प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करे। विपक्ष आज प्रधानमंत्री के हर कदम की आलोचना कर रहा है। जब सत्ता पक्ष और विपक्ष एक ही पन्ने पर कोरोना के विरुद्ध लड़ाई लड़ते दिखाई देंगे तो आपस में लड़ना शायद बंद कर दें।
भारत में कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है। शुक्रवार को एक बार फिर कोरोना के रिकॉर्ड नए मामले दर्ज किए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में 4,14,188 नए COVID-19 केस दर्ज किए गए हैं… इस दौरान, 3915 लोगों की मौत हुई है।
देश में ऑक्सीजन संकट अभी तक बना हुआ है और वेंटीलेटर व हस्पताल में बेड मिलने की किल्लत चल रही है। ऐसे में समाचार मिलता है कि पंजाब के चमकौर साहिब के नज़दीक भाखड़ा नहर में सैकड़ों रेमडेसिविर और चेस्ट इंफ़ेक्शन के इंजेक्शन बहते हुए बरामद किये गये हैं। इनके डिब्बों पर लिखा था ‘फ़ॉर गवर्नमेन्ट यूज़, नॉट फ़ॉर सेल’!
सूत्रों के अनुसार रेमडेसिविर इंजेक्शन पर एमआरपी 5,400 रुपए व मैन्युफैक्चरिंग डेट ‘मार्च 2021’ और एक्सपायरी डेट ‘नवंबर 2021’ लिखी है। सेफोपेराज़ोन इंजेक्शन पर मैन्युफैक्चरिंग डेट ‘अप्रैल 2021’ व एक्सपायरी डेट ‘मार्च 2023’ अंकित है।
यह एक शर्मनाक कृत्य है। अभी शायद यह नतीजा नहीं निकला है कि ये दवाइयां असली हैं या नकली। मगर एक तरफ़ देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है और दूसरी तरफ़ पंजाब जैसे राज्य में ऐसी कारगुज़ारी दिल दहला देने वाली है। पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस घटना को गंभीरता से लेना चाहिये और दोषियों को सज़ा दिलवानी चाहिये। बेहतर होगा यदि भारत सरकार इस मामले की छानबीन सी.बी.आई. द्वारा करवाए।
इस समय जबकि देशवासी कोरोना से मर रहे हैं ऐसे भी लोग हैं जो ऑक्सीजन सिलण्डरों को ग़ैरकानूनी ढंग से दबाए बैठे हैं और शायद काला बाज़ारी कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक इमरान हुसैन को दिल्ली आई कोर्ट ने इस विषय में नोटिस भेजा है।
दावा किया जा रहा है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर भी जल्दी ही आने वाली है। पहली लहर में वरिष्ठ नागरिकों पर कोरोना का कहर टूटा। अब दूसरी लहर में युवा वर्ग पर हमला हुआ है। माना जा रहा है कि तीसरी लहर में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर भी कोरोना का गाज गिरने वाला है। अमरीका में फ़ाइज़र कम्पनी टेस्ट करवा रही है कि क्या उनकी वैक्सीन 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर असर करेगी या नहीं। एक डर यह भी है कि वैक्सीन कहीं उनको नुकसान न पहुंचाए।
भारत में एक तीसरी वैक्सीन भी बाज़ार में आने की तैयारी कर रही है। फ़ार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से कोरोना के ख़िलाफ अपनी दवाई को मंज़ूरी देने की अपील की है। यह भारतवासियों के लिये एक अच्छी ख़बर है।
ख़ान मार्केट वैसे ही लुटियन पत्रकारिता के लिये सुर्खियों में रहती है मगर इस बार ख़ान चाचा और नवनीत कालरा नाम के शख़्स ने ख़ान मार्केट का नाम ऑक्सीजन घोटाले से भी जोड़ दिया है। दिल्ली पुलिस ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया, “ख़ान मार्केट में ख़ान चाचा और टाउन हॉल रेस्टोरेंट से 105 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद हुए; मालिक नवनीत कालरा से कुल 524 कंसंट्रेटर बरामद हुए, वो दयाल ऑप्टिकल्स का भी मालिक है। वह फ़िलहाल फ़रार है जबकि दक्षिण ज़िला दिल्ली पुलिस ने मैनेजर और तीन कर्मचारियों को गिरफ़्तार कर लिया है।”
दूसरी तरफ़ पश्चिमी बंगाल में चुनावी नतीजों के बाद भाजपा वोटरों एवं समर्थकों के विरुद्ध लगातार हिंसा जारी है और उनमें से बहुत से लोग पलायन कर के असम जा रहे हैं। कश्मीर के बाद पश्चिम बंगाल भारत का दूसरी प्रदेश है जहां से हिन्दू अपनी जान बचा कर भागने को मजबूर हो रहे हैं।
नव-निर्वाचित मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया कि ‘हिंसा उन्हीं इलाकों में हो रही है जहां भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं।’ यह तो होना ही था। क्योंकि जहां टी.एम.सी. जीती है वहां तो ममता समर्थन बहुमत में हैं। हिंसा तो उन्हीं के विरुद्ध की जानी है जहां से ममता बनर्जी की पार्टी हारी है।
ममता बनर्जी को चाहिये कि पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दोंनुसार ‘अपना राजधर्म निभाएं’। अब चुनाव समाप्त हो चुके हैं; वे तिबारा मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित हो चुकी हैं। अब वे बंगाल के सभी निवासियों के हित में काम करें और उन्हें सुरक्षा कवच प्रदान करें। मगर ऐसा शायद संभव न हो पाए क्योंकि यह संपादकीय लिखते लिखते समाचार मिला है कि भाजपा नेता रूपा गांगुली और अग्निमित्र पॉल को हिंसा के विरुद्ध प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया है।
हो यह रहा है कि विश्व के हर देश में सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं कि सत्तापक्ष कोरोना वायरस से लड़ने में विफल रहा है। मैं भारत सरकार को याद दिलाना चाहूंगा कि जब पी.वी. नरसिम्हारॉव भारत के प्रधानमंत्री थे, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का पक्ष रखने के लिये श्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था जबकि अटल जी उस समय विपक्ष के नेता थे।
वर्तमान सरकार को भी चाहिये कि कोरोना से लड़ने के लिये वैज्ञानकों और डॉक्टरों की सलाह तो पूरी तरह से माने मगर एक समिति का गठन करे। इस समिति में काँग्रेस, आम आदमी पार्टी, वाम दल एवं समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ साथ रवीश कुमार एवं राजदीप सरदेसाई को भी शामिल करे। यह समिति सीधी प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करे। विपक्ष आज प्रधानमंत्री के हर कदम की आलोचना कर रहा है। जब सत्ता पक्ष और विपक्ष एक ही पन्ने पर कोरोना के विरुद्ध लड़ाई लड़ते दिखाई देंगे तो आपस में लड़ना शायद बंद कर दें।
भारत के मौजूदा हालात पर बेहतरीन सम्पादकीय है ।
निंदक नियरे राखिए की उक्ति चरितार्थ हो रही हैं। विपक्ष की भूमिका संकट की घड़ी में सहयोगात्मक होनी चाहिए ।नरसिम्हा राव और अटल जी के व्यक्तित्व को याद दिलाया ।पहले सभी नेता देश हित में सोचते थे अब राजनीतिक विचारों का पतन
सचमुच चिंतनीय है ।
प्रभा
भारत के मौजूदा हालात पर बेहतरीन सम्पादकीय है ।
निंदक नियरे राखिए की उक्ति चरितार्थ हो रही हैं। विपक्ष की भूमिका संकट की घड़ी में सहयोगात्मक होनी चाहिए ।नरसिम्हा राव और अटल जी के व्यक्तित्व को याद दिलाया ।पहले सभी नेता देश हित में सोचते थे अब राजनीतिक विचारों का पतन
सचमुच चिंतनीय है ।
प्रभा