होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – चाँद तारों को लेकर किधर जाएगा ग़ज़ल एवं गीत डॉ. यासमीन मूमल की ग़ज़ल – चाँद तारों को लेकर किधर जाएगा द्वारा डॉ. यासमीन मूमल - May 9, 2021 184 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet सांप का ज़ह्र फिर भी उतर जाएगा। डस लिया आदमी ने तो मर जाएगा।। उससे मिलना तो नज़रें मिलाना नहीं। वरना नज़रों से दिल में उतर जाएगा। जब ठिकाना नहीं कोई मंज़िल नहीं। चाँद तारों को लेकर किधर जाएगा।। उसके जैसा न दुनिया में होगा कोई। तेरी चाहत से जब वो सँवर जाएगा। ज़िंदगी वक़्फ़ जिसने तेरे नाम की। छोड़कर कैसे तेरा वो दर जाएगा।। लुट गया राहे ‘उल्फ़त में कोई अगर। तो ख़ुदा जाने वो कैसे घर जाएगा।। “यास्मीं” उसपे क़ुर्बान हो जायेगी। जो बुलन्दी पे जाकर ठहर जाएगा।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र का गीत – कभी सोचा नहीं था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.