12 नवंबर को ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में टेम्स नदी की अद्भुत छटा के बीच, संस्क्रुति सेंटर फॉर कल्चरल एक्सीलेंस द्वारा स्वदेशी भाषाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय वर्ष मनाया गया। इस अवसर पर ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय प्रवासी सदस्यों द्वारा 20 भाषाओं में लिखी गई कविताओं को “फैस्टून ऑफ एक्सप्रेशंस” शीर्षक के अंतर्गत संकलितप्रकाशित और जारी किया गया, और 18 लेखकों ने इस समारोह में उनका उत्साहपूर्वक पाठ किया।

बैरोनेस वर्मा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जिन भावनाओं के साथ कविता पाठ हुआ, उनमें एक बहुत ही खास आकर्षण था। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण डोगरी (टेकरी)मैथिलीसिंधी (ख़ुदावदी) भाषाओं की मूल लिपियों को उस पुस्तक में शामिल किया जाना थाजो आज दुर्लभ हैं और उनकी लिपि को सामने लाने के लिए एक विशेष प्रयास किया गया था। इस अवसर पर शिखा वार्ष्णेय द्वारा हिंदी में एक कविता का पाठ किया गया। ।

असमिया और बंगाली में डॉ. भूपेन हजारिका और विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों को क्रमशः संदीप सेन और साची सेन द्वारा प्रस्तुत किया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय से विशेष रूप से पधारे डॉ. अजीत कुमार ने मैथिली भाषा पर बात की।

उद्घाटन भाषण बैरोनेस वर्मा द्वारा दिया गया जिसमें उन्होंने रागसुधा विन्जामुरी द्वारा भारतीय विरासत और भारत की सांस्कृतिक छवि को ब्रिटेन और उसके बाहर के दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने और उनकी अधिक समझ पैदा करने वाले  संस्क्रुति केंद्र के काम की सराहना की।

दुर्लभ आदिवासी नृत्यों पर अनुसंधान और प्रस्तुतिसेमिनारपुस्तकों के प्रकाशन, और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ाने के लिए एक माध्यम के रूप में नृत्य का उपयोग, इस केंद्र की कुछ प्रमुख गतिविधियों में शामिल हैं। इस सुन्दर और सार्थक कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सुशील रापटवार द्वारा दिया गया।

(संस्कृति केंद्र संवाददाता के सौजन्य से)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.