भारत का सिनेमा यहाँ की उत्सवधर्मिता को प्रतिबिंबित करता है – विजय शर्मा
अलग-अलग देशों में अलग-अलग भाषाओं में इसी एक विषय, द्वितीय विश्वयुद्ध पर तमाम फ़िल्में बनी हैं। ये सब विशिष्ट फ़िल्में हैं, एक कालखंड के इतिहास को परदे पर दर्ज करती हुई फ़िल्में। आप देखेंगे तो पाएँगे ये भारत में बनी फ़िल्मों से बहुत अलग हैं। इनका कथानक अलग है, इनकी पोशाक, लोकेशन भिन्न है, संवाद और अभिनय भिन्न है, इनकी त्रासदी भिन्न है। इनमें से अधिकाँश में भावुकता और मेलोड्रामा नहीं है।
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Accha samvaad. Vijayji ko Badhai.
धन्यवाद पीयूष द्विवेदी
आपका साक्षात्कार प्रेरक और उत्साह बढ़ाने वाला है । एक साथ कई पुस्तकों पर काम करते हुए आपने कई बेहतरीन किताबें लिखी हैं और संपादित किया है।
आपके विचार उर्जस्वित करते हैं। आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
डा.उषारानी राव