1- ढूँढ़ रही हूँ …
ढूँढ़ रही हूँ
मैं
वह प्यार
रश्मि-रथ पर
हो सवार
आ उतरता है जो
भोरीली स्वप्निल
पलकों पर
मुस्काता है
चन्द्रोन्मेषित
कुमुदिनी
के नयनों में
चमकता है
जुगनू के
जगमग पंखों पे
बरसता है
सावन की
रिमझिम फुहार में
कूकता है
बंसत के
पुलकित पिक-गान में
गूँजता है
ब्रह्ममुहूर्तीय प्रार्थनाओं
के सूर में
धड़कता है
जनमानस के
उर में
और लिये
आंचल में
जिसको
चलती है
मदमस्त बयार
ढूंढ़ रही हूँ मैं
वह प्यार –
नहीं जिसकी
भाषा
परिभाषा
कोई सीमा
कुछ आकार
जो है
शुभ्र प्रकाशपुंज
और बनता
अनुभूति
उस क्षण
हो जाती है जब
लुप्त देह
व बनते हम
आकाशगंगा के
दिव्य कुसुम…
2- चलोगे मेरे साथ तुम ?
अनजाना है पथ
हुआ करे
नहीं चलना मुझे
मूँदे आँखें
घिसे-पिटे
उस रस्ते पर
नहीं जहाँ कोई
मील-पत्थर!
मेरी मंज़िल
है अज्ञात
मेरा चलन
है भटकन
पाँव के छाले
धूप की जलन
बढ़ते कदम –
बादलों के पार
क्षितिज के पार
तारों के पार…
चलोगे मेरे साथ तुम ?
कौन जाने
ढूंढ लायें हम –
नयी भागीरथी
नयी गंगोत्री
नये द्वीप
नये तारक
नया मनु ?
3 – कौन जाने?
श्वेत या श्याम
देखने वाली
यह वर्णान्ध जगती
नहीं सराहेगी
तुम्हारे
इन्द्रधनुषीय स्वप्न
किन्तु तुम
मत घबरा
नाकिंचित भी!
हर सुन्दर वास्तविकता
करती है
यहां प्रतीक्षा
एक सुनहरे स्वप्न की
कौन जाने
वो तुम्हारा ही
स्वप्न हो
जिसकी प्रतीक्षा में
सदियों से है
यह सृष्टि…
Beautiful Lines By Rashmi Bajaj
ढूँढ रहे जो प्यार
वो बाहर नहीं
अंदर है
प्रार्थना में है
ध्यान में है
राघव
ati sunder bhav anubhuti v abhivayakti. aap ke srijn ko nman.
आप सब का टिप्पणियों एवं लाइक के लिए बहुत शुक्रिया!
बहुत सुंदर एहसासों की कवितायें