कथा यूके एवं हिन्दी अकादमी मुंबई का “साहित्य के माध्यम से सेतु निर्माण” का पहला कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न
कथा यूके के संस्थापक महासचिव तथा ख्याति-प्राप्त प्रवासी साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा एमबीई द्वारा संकल्पित “साहित्य के माध्यम से सेतु निर्माण” की पहली कड़ी का सफल आयोजन ब्रिटिश संसद के हाऊस ऑफ़ कॉमन्स, लंदन में किया गया।
इस कार्यक्रम की मेज़बानी लंदन ईलिंग के सांसद श्री वीरेंद्र शर्मा ने की तथा इस अवसर पर भारतीय उच्चायोग के मंत्री समन्वय श्री दीपक चौधरी, लंदन की काउंसलर तथा सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार ज़किया ज़ुबैरी, पंजाबी लेखक एवं काउंसलर के. सी. मोहन एवं प्रवासी साहित्यकार जय वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कथा यूके की संरक्षक ज़किया ज़ुबैरी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों तथा गण्यमान्य व्यक्तियों का आदर पूर्वक सत्कार किया। उन्होंने कहा, “यह बहुत ख़ुशी की बात है कि कि कोविद-19 की दहशत के बाद अब हम सब मिल-जुल कर एक छत के नीचे कुछ सार्थक कार्य कर सकते हैं। वो समय गुज़र गया जब हम ज़ूम पर मिलने को बाध्य हो गये थे। बस यही दुआ है कि यह मुहिम जारी रहे और हम ऐसे ही निरंतर मिलते रहें और काम करते रहें।”
सांसद वीरेंद्र शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि यह एक नया सफल प्रयास है। ऐसे कार्यक्रमों की आज आवश्यकता है। इस कार्यक्रम की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। मेरा विश्वास है कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सभी देशों को पहल करनी चाहिए। जिससे न सिर्फ यूके अपितु विश्व के सभी देशों के बीच साहित्य व संस्कृति के माध्यम से आपसी संबंध और भी मजबूत होंगे।
तेजेंद्र शर्मा  ने कहा कि साहित्य एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को आपस में जोड़ता है। ऐसे कार्यक्रमों से न सिर्फ दो देशों के बीच में आपसी संबंध मजबूत होंगे बल्कि साहित्य एवं संस्कृति का आदान-प्रदान भी होगा। राजनीति में उठा पटक चलती रहती है, जबकि साहित्य में केवल सकारात्मकता होती है जो आपस में मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है।
भारतीय उच्चायोग के मंत्री समन्वय श्री दीपक चौधरी ने कार्यक्रम की सोच की सराहना करते हुए भारत से आए अतिथियों का स्वागत किया और ब्रिटेन की सम्मानित हस्तियों को बधाई दी। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय उच्चायोग सदैव ऐसे कार्यक्रमों के समर्थन में हर संभव सहायता करेगा।
हिन्दी अकादमी, मुंबई के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद पांडेय ने कहा कि यह सकारात्मक सोच का परिणाम है कि आज भारत और लंदन के साहित्यकार व शिक्षाविद ब्रिटिश पार्लियामेंट में एक साथ एकत्रित होकर एक ऐसे सेतु का निर्माण कर रहे हैं जो आने वाली पीढ़ी को न सिर्फ प्रोत्साहित करेगी अपितु साहित्य लेखन एवं पठन के प्रति रुचि निर्माण करेगी। प्रवासी साहित्य ही एक ऐसा माध्यम है जिससे युवा पीढ़ी विश्व के सभी देशों की कला, संस्कृति व साहित्य से परिचित होगी और आपसी नजदीकियां बढ़ेंगी।
कार्यक्रम की शुरूआत में रागसुधा विंजमुरी ने एक बेहतरीन नृत्य वंदना प्रस्तुत की जिसकी सभी उपस्थित मेहमानों ने करतल ध्वनि से सराहना की।
इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. प्रमोद पाण्डेय द्वारा संपादित प्रवासी काव्य-संग्रह ‘प्रवासी पंछी’ तथा प्रवासी कहानी-संग्रह ‘कैलिप्सो” का लोकार्पण भी किया गया। इस दौरान ब्रिटेन, युरोप और भारत के साहित्यकारों, पत्रकारों, अध्यापकों एवं हिन्दी सेवियों को सम्मानित किया गया।
ब्रिटेन के युवा साहित्याकरों तिथि दानी, आशीष मिश्रा, ऋचा जैन, आशुतोष कुमार, शिखा वार्ष्णेय; नृत्यांगना रागसुधा; पत्रकार लवीना टंडन; अध्यापक इंदु बारौठ; एवं संस्थाओं – काव्यधारा, वातायन एवं बेल्जियम से कपिल कुमार को सम्मानित किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार जय वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस कार्यक्रम में अरुणा अजितसरिया, ललित मोहन जोशी, अरुणा सब्बरवाल एवं हिन्दी अधिकारी डॉ. नंदिता साहू सहित भारत एवं यूके व अन्य देशों से लगभग 80 गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

7 टिप्पणी

  1. हिंदी साहित्य केमाध्यम से एक से अनेक राष्ट्रों में सहयोग और सद्भावना स्थापित होती है।कथा यूके और हिंदी समिति मुंबई का आयोजन सराहनीय है ।
    सम्मानित रचनाकारों को बधाई
    Dr Prabha mishra

  2. ” साहित्य के माध्यम से सेतु निर्माण ” के सफल आयोजन के लिए ढेर सारी बधाई। इस प्रयास की जितनी सराहना की जाय कम होगी। वास्तव में कोई भी साहित्य देश की सीमाओं के बाहर भी उतनी ही पैठ रखता है जितनी देश के भीतर…. । और साहित्य से जुड़ा समाज आपसी जुड़ाव को बेहतर तरीके से एक दूसरे को समझता भी है।

  3. अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं आप। आपके जज़्बे को सलाम!
    सुंदर सकारात्मक कार्यक्रम के लिए आपको व सभी साहित्यकारों को आत्मीय बधाई व अभिनंदन।

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