Saturday, July 27, 2024
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नया साल मुबारक (लघुकथा रंजू भाटिया )

  • रंजू भाटिया

अपनी मर्ज़ी के अपने सफर के कहाँ हम हैं, रुख हवाओं का जिधर है उधर के हम हैं।”
शाम फिर ढल रही रही है ,रात का आँचल छिटका हुआ है ,कुछ गीत तुम्हारी पसंद के कुछ अपनी पसंद के हवा में गुनगुना कर खुद को एहसास दिलाने की कोशिश है कि तुम आज भी यहीं हो दूर कहाँ हो l मैं आज भी खुद को उन्ही आँखों में खोजता हूँ जो पहली बार अनजाने में कह गयी थी कोई बात और आज भी उन्ही लफ़्ज़ों में खुद को तलाशता हूँ जो नए साल की मुबारक बाद में चेहरे पर मुस्कान ले आये थे और उन्ही मुस्कानों में सुन रहा हूँ खुद को जो हवा में ठिठक गयी l कोई नाम तुम्हारा ले वह भी अब मैं ही हूँ। कहाँ अलग हूँ तुमसे  आज भी तुम्हारे करीब हूँ ,तुम्हारी कही कोई बात आज भी धीरे से मुझे अपनी बाहों के घेरे में कस लेती है और वह प्यार भरे दिन उदासी का एक टीला बना कर गायब हो जाते हैं l
एक याद के खालीपन का बोझ सा हो कर भी बोझ नहीं है , अनमना, न कुछ करने जैसा बीतता हुआ जीवन।  है तो इससे भी अधिक गहरा कोई अहसास मगर कहा नहीं जा रहा। तुम्हारी सुंदरता जैसे उस वक़्त हुए हादसे के अन्धकार में एक उम्मीद की रौशनी बन कर जीने की चाह को और भी बढ़ा जाती ,शारीरिक रूप से उस भयानक हादसे में अपना एक हाथ  खो चूका था l हमसफ़र के लिए हाथ थामने का मजबूत सहारा बनूँगा या नहीं ,नहीं जानता था पर दिल में उजाला भर जाता था जब जब तुम मुस्कराती  हुई हॉस्पिटल के उस कमरे में आती थी ,तभी तो नया साल आने की आहट सुनते ही तुम्हे मुबारकबाद दे दी ,इस हालात में नए साल की मुबारक !! सुन के अनसुना था , नया साल नहीं जानता था कि सब नया होने को है l शायद  तब मैं भी नहीं जानता था कि यह नयी शुरुआत थी l
बीते जीवन में ही भविष्य का उजाला दिखा और बाद में जाना कि विरोध था उस तरफ तुम्हारे घर का l आखिर एक हाथ के बिना इंसान को कोई  कैसे अपनी लड़की का हाथ दे देता lपर कुछ सोचा हुआ हमेशा सच नहीं होता न ? उसके नए साल की मुबारकबाद में नए जीवन की राह की नीवं डल चुकी थी ,और सफर अब मीलों तय होना पक्का था ,जो खोया था वह अब दुःख नहीं दे रहा था,उस कमी को तुमने साथ चलने का वायदा दे कर पूरा कर दिया था चाहे यह आसान नहीं था उस वक़्त पर बीते लम्हों को याद करना एक कहानी सा आसान होता है शायद ।
ज़िन्दगी अपनी रफ़्तार से बीत रही है ,वार्ड नम्बर ६ की यादे आज भी किसी फिल्म सी घूमती है मिलना बिछडना सब तय है ,और किसी के न होने से ज़िन्दगी नहीं रूकती बस कमी महसूस होती है तुम्हारे यूँ ज़िन्दगी के सबसे अधिक साथ के जरूरत के समय l बच्चे अपने अपने ज़िन्दगी के सफर पर निकल पड़े हैं ,सपने जो देखे मिल कर वह  असलियत का पहनावे में ढ़ले हुए हैं ,और मैं तुम्हे हर पल हर लम्हा बस महसूस करके आज भी नए साल की मुबारकबाद देता हूँ l एक कहानी जो वार्ड नम्बर ६ से शुरू हुई वह अब पन्ना दर पन्ना पलटते हुए तुम्हारे करीब और ले आती है l”सुनो फिर से नया साल आने को हैl   एक नया संसार फिर से इस प्यार के घरोंदे पर अपने गीत गुनगुनाने में घर को फिर से घर बनाने लगा है l नन्हे चूजे अब इस हमारे बनाये घरोंदे में चहचहाने लगें हैं l अब तुम सिर्फ सायो में नहीं, सामने बैठी हंसती .मुस्कराती  उसी भव्य रूप में दिखाई देती हो अपने बहुत आस पास , सोचता हूँ तुम्हारे बिना क्या इस सपने की ताबीर हो सकती थी ? तो जवाब में तुम मुस्करा के फिर से वही गीत गुनगुना देती हो जिसकी धुन हम दोनों को ही पसंद थी। वार्ड नम्बर ६ फिर से हवा में एक बार कह जाता है … एक बार फिर से तुम्हे नया साल मुबारक हो !!
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