कोरोना काल ने जनजीवन के सभी क्षेत्रों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इससे साहित्य जगत भी अछूता नहीं है। पिछले दिनों कोरोना काल के प्रभाव में ही लम्बे समय से चली आ रही दो प्रतिष्ठित एवं लोकप्रिय पत्रिकाओं नंदन और कादम्बिनी के बंद होने की सूचना ने साहित्यप्रेमियों को झकझोरने का काम किया। इनमें ‘नंदन’ बाल-साहित्य की मासिक पत्रिका है, जिसका प्रकाशन पांच दशक से अधिक समय से होता आ रहा था।
कोरोना काल में अब इस पत्रिका की यात्रा समाप्त हो गयी। ये पत्रिका कई पीढ़ियों की साथी रही है, लिहाजा इसके बंद होने की खबर से सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़-सी आ गयी। लोग इससे जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए इसके बंद होने पर अफ़सोस व्यक्त करने लगे। यह अफ़सोस उचित भी है और स्वाभाविक भी। परन्तु, इस क्रूर समय का सत्य यही है कि ‘नंदन’ और ‘कादम्बिनी’ पत्रिकाएँ अब हमारे बीच नहीं होंगी। सो इसे स्वीकार कर आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर है।
इस पूरे प्रकरण की पृष्ठभूमि में पुरवाई के सम्पादक तेजेंद्र शर्मा ने अपनी फेसबुक वाल पर एक पोस्ट डालते हुए बाल-साहित्य के रचनाकारों से आग्रह किया कि वे अपनी बाल रचनाएं पुरवाई के लिए भेजें, पुरवाई उन रचनाओं का प्रकाशन करेगी। इस पोस्ट के थोड़े ही समय में हमें पचास के करीब रचनाएं ईमेल पर प्राप्त हुईं, जिसने हमें चकित करने के साथ उत्साहित भी किया है।
सो, शीघ्र ही हम पुरवाई पर बाल-साहित्य से सम्बंधित रचनाओं के लिए अलग से एक श्रेणी बनाने जा रहे, जिसमें व्यवस्थित रूप से इन रचनाओं को स्थान दिया जाएगा।
प्राप्त रचनाओं में से फिलहाल जिन रचनाओं को इतने अल्प समय में देखा-परखा जा सका, उनमें से कुछ का प्रकाशन इस सप्ताह किया जा रहा है। शेष रचनाओं को भी हमारे संपादक महोदय व टीम के सदस्यों द्वारा देखा-परखा जा रहा है। आगामी सप्ताहों में इनमें से भी चयनित रचनाएं प्रकाशित होती रहेंगी। आगे भी बाल साहित्य से सम्बंधित सामग्री की हमें प्रतीक्षा रहेगी। – मॉडरेटर

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