कितने लोग जानते होंगे,
मेरे दादा या दादी का नाम,
श्राद्ध के दिनों में जिनका जिक्र हो जाता है
अनायास ही घर में,
होता ही होगा और घरों में भी,
सोचता हूं मेरे कितने मित्रों को
याद होगा मेरे माता पिता का नाम,
या मुझे ही कितने दोस्तों के माता पिता के नाम याद है,
मैं श्राद्ध की रीत कभी निभाऊंगा या नहीं,
असमंजस में हूं,
पर मेरे बाद आने वाली पीढ़ी, बिना किसी दुविधा के
ना ही में जवाब देगी,
हालांकि नाम उतने ही और उतने ही समय तक याद रखेगी नई पीढ़ी,
जितने वक्त तक उसकी पिछली पीढ़ियां याद रखती आई,
यूँ नाम में बड़ी भूख होती है
नाम कमाने की,
पर फिर भी एक अच्छा नाम कमाने से कहीं ज्यादा बेहतर
एक अच्छा जीवन जीना होता है…..
2- युद्ध
आदमी और मुर्गे के बीच युद्ध हुआ
और आदमी जीत गया
आदमी और जंगल के बीच युद्ध हुआ
और आदमी जीत गया
आदमी और नदी के बीच युद्ध हुआ
और आदमी जीत गया
आदमी और धरती के बीच युद्ध हुआ
और आदमी जीत गया
आदमी और सागर के बीच युद्ध हुआ
और आदमी जीत गया
आदमी और कुदरत के बीच युद्ध हुआ
और आदमी जीत गया
आदमी को अपने अजेय होने पर गर्व हो गया,
और फिर अंत में
आदमी और आदमी के बीच युद्ध हुआ
इस बार आदमी हार गया…
हरदीप जी सहजता से गम्भीर बात कह देते हैं।बहुत ख़ूब