तू अम्बर की ऊंचाई मैं धरती का आकार बनूँ
तू  क्षितिज की सीमा रेखा मैं तेरा विस्तार बनूँ
तू सागर की गहराई तो मैं मोती बन जाऊंगी
तू दीपक की बाती है तो मैं ज्योति बन जाऊंगी
मेरी  दुनिया तू बन जाना  मैं तेरा संसार बनूँ
मैं बदली हूँ नीर भरी तो तू शीतल जलधारा है
तू धरती की हरियाली  मेरे जीवन का सहारा है
तू महका मधुबन है मेरा मैं फूलों का हार बनूँ
तू  पूनम का पूर्ण चंद्र  है  मैं हूँ तेरी चकोर प्रिये
तू मुरलीधर मैं राधिका बंधी नेह की डोर प्रिये
धड़कन का तू गीत मधुर मैं वीणा की झनकार बनूँ
तू शब्दों में गीत प्रीत का  सुरमयी मैं रागिनी हूँ
इंद्रधनुष तू नील गगन का मैं तेरी ही कुमुदिनी हूँ
तू हिमगिरि की पावनता और मैं गंगा की धार बनूँ

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