Friday, October 11, 2024
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डॉ. अमित कुमार दीक्षित की कविता – अरे 2020 !

तेरे जैसा साल न आये दोबारा
तूने तो पूरे दुनिया में हाहाकार ही मचा डाला
कोरोना का जाल बिछा डाला
सभी देश को इसमें उलझा डाला
अर्थव्यवस्था पर पड़ी मंदी की मार
मजदूरों का हुआ जीना बेहाल
फिर भी नहीं दिख रहा कोई सरोकार
चारों तरफ मचा है चीख – पुकार
तूने तो सारा देश-दुनिया ही बदल डाला
तेरे जैसा साल न आये  दोबारा ।
तूने तो छीन लिया, फिल्मों का सितारा
एक्टिंग में निपुण ऋषि कपूर
अभी कपूर की याद को भूले नहीं थे अखबार
तब तक अलविदा कह गये इरफान साहब
फिर भी लगते रहे एक के बाद एक घाव
कोरोना से भी न दिख रहा कोई बचाव
गाँव-शहर में हुआ लोगों का जीना बेहाल
सरकार ने भी न रखा लोगों का ख्याल
इसके अलावा भी
कुछ अच्छा नहीं रहा तेरा व्यवहार
लील लिये तूने डांस की जादूगरनी सरोज खान
उसके बाद फुटबॉल के भगवान माराडोना
गुल हो गये मसालों के राजा धर्मपाल गुलाटी
मन करता था, बीच में ही कर दें तुझसे कट्टी
तू साल था  या महाकाल !
इतने पर भी भरा नहीं तेरा कोष
गजेड़ियों – नशेड़ियों के भेंट चढ़ गया सुशांत निर्दोष ।
जो तुझसे बचे, उनकी भी हालत स्थिर नहीं भाई
भगवान जाने कैसे, होगी इसकी भरपाई
धोनी ने वनडे – टेस्ट में जाना छोड़ दिया
सिर्फ आईपीएल से नाता जोड़ लिया
क्रिकेट प्रेमियों का दिल तोड़ दिया
वाह रे काले कालखण्ड
इतिहास निर्धारित करेगा तेरा क्रूर दण्ड ।
अच्छा हुआ तू बीत गया
तुझे अंदाज़ा नहीं है
तेरे रहते – जाते क्या – क्या रीत गया ।
जिन्द़गी में ऐसा साल न आए
जाते जाते तू हमसे ले ले
फ़ाइनल गुड बाय ।
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